डा. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधन संस्थान यानी कि इसरो अपने सबसे बड़े प्रयोग की तैयारी में है। इस प्रयोग की सफलता ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) के बनने और चंद्रयान-4 मिशन की सफलता को तय करेगा। इसलिए यह मिशन बेहद जरूरी है। इसरो सूत्रों की मानें तो भारतीय स्पेस एजेंसी स्पैडेक्स मिशन की लॉन्चिंग 30 दिसंबर 2024 को कर सकती है। स्पैडेक्स या स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट एक जुड़वां उपग्रह मिशन है। स्पेडेक्स मिशन में दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जोड़कर दिखाया जाएगा। इसे इसरो द्वारा कक्षीय मुलाकात, डॉकिंग, फॉर्मेशन फ्लाइंग से संबंधित परिपक्व प्रौद्योगिकियों के लिए विकसित किया जा रहा है। इसरो के भविष्य के सारे मिशन इस इकलौते लॉन्च पर टिके हैं।
लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के पहले लॉन्च पैड से होगी। लॉन्चिंग के लिए पीएसएलवी-सी60 रॉकेट का इस्तेमाल होगा क्योंकि दूसरा लॉन्चपैड गगनयान-जी1 मिशन की लॉन्चिंग के लिए तैयार किया जा रहा है। उसकी तैयारियां भी अगले हफ्ते से शुरू होने वाली हैं।
अक्तूबर में इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ ने कहा था कि दिसंबर में इसरो स्पैडेक्स या स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट मिशन कर सकता है क्योंकि चंद्रयान-4 के लिए अंतरिक्ष में डॉकिंग बहुत जरूरी तकनीक है। डॉकिंग मतलब दो अलग-अलग हिस्सों को एक-दूसरे की तरफ लाकर उसे जोड़ना। इस समय स्पैडेक्स के सैटेलाइट्स का इंटीग्रेशन हो रहा है। एक महीने में ये बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके बाद इनकी टेस्टिंग वगैरह होगी। सिमुलेशन होंगे। अंतरिक्ष में दो अलग-अलग चीजों को जोड़ने की ये तकनीक ही भारत को अपना स्पेस स्टेशन बनाने में मदद करेगी। साथ ही चंद्रयान-4 प्रोजेक्ट में भी हेल्प करेगी। स्पैडेक्स यानी एक ही सैटेलाइट के दो हिस्से होंगे। इन्हें एक ही रॉकेट में रखकर लॉन्च किया जाएगा। अंतरिक्ष में ये दोनों अलग-अलग जगहों पर छोड़े जाएंगे। भविष्य में इसी तकनीक के आधार पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन भी बनाया जाएगा।
प्रयोग धरती की निचली कक्षा में : इसके बाद इन दोनों हिस्सों को धरती से निचली कक्षा में जोड़ा जाएगा ताकि ये फिर से एक यूनिट बन जाएं। इस पूरे प्रोसेस में कई तरह के काम होंगे-जैसे दोनों अलग-अलग हिस्से एक-दूसरे को खुद से अंतरिक्ष में खोजेंगे। उनके पास आएंगे ताकि एक ही ऑर्बिट में आ सकें। इसके बाद दोनों एक-दूसरे से जुड़ जाएंगे।