ब्लिट्ज ब्यूरो
मथुरा। कोकिला वन को ईको टूरिज्म के केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में वन विभाग ने विकास कार्यों का शुभारंभ कर दिया है। यहां आर्द्र भूमि के पुनरोद्धार एवं उसकी प्राकृतिक क्षमता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर गाद एवं सिल्ट हटाने की परियोजना शुरू कर दी है। इसमें करीब दो करोड़ रुपये से 10 हेक्टेयर क्षेत्र में कार्य किया जाएगा। यहां वर्षों से जमा होती गाद एवं सिल्ट ने कोकिला वन की जलभराव क्षमता को कम कर दिया था, इससे क्षेत्र की आर्द्रभूमि प्राकृतिक गुणवत्ता खोती जा रही थी। निर्धारित कार्य के तहत जमीन की परत लगभग एक मीटर तक गहराई में साफ की जाएगी।
इससे न केवल जल संचय क्षमता बढ़ेगी, बल्कि क्षेत्र भी जैव विविधता के अनुकूल बनेगा। कोकिला वन हमेशा से पक्षियों एवं वन्यजीवों का सुरक्षित आवास रहा है। गाद-सिल्ट निकासी के बाद यहां के तालाबों एवं आर्द्र भूमि में पानी पूरे वर्ष उपलब्ध रहेगा, इससे पक्षियों के प्रवास एवं प्रजनन में भी वृद्धि होगी। इस कदम से ईको टूरिज्म को नई गति मिलेगी और आने वाले समय में अधिक पर्यटक यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकेंगे। इसके लिए वन विभाग ने कार्य की टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। टेंडर के पूरा होते ही मशीनरी की मदद से व्यापक स्तर पर कार्य कराया जाएगा। विभाग का लक्ष्य है कि आगामी मौसम चक्र से पहले आर्द्र भूमि को बेहतर स्थिति में लाया जा सके। वन विभाग का यह प्रयास कोकिला वन को एक आदर्श ईको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जिला वन अधिकारी वेंकटा श्रीकर पटेल ने बताया कि कोकिला वन में ईको टूरिज्म की संभावना विकसित की जाएगी। इससे पर्यावरणीय लाभ के साथ क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में विस्तार होगा। इसके लिए यहां दो करोड़ रुपए से 10 हेक्टेअर आर्द्र भूमि से गाद एवं सिल्ट हटाने का कार्य कराया जाएगा।
इससे स्थानीय रोजगार एवं पर्यटन बढ़ेगा तथा ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलने से आसपास के क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वहीं ईको टूरिज्म परियोजना से न सिर्फ यहां पर पर्यावरणीय लाभ मिलेगा, बल्कि क्षेत्र में स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। स्थानीय लोग एवं प्रकृति प्रेमियों ने इस पहल का स्वागत किया है।































