दीपक द्विवेदी.
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर वार तो किया पर साथ ही नसीहत भी दी कि दल हित में हमारे मत मिलें न मिलें लेकिन देश हित में हमारे मन जरूर मिलने चाहिए
परेशन सिंदूर पर संसद में चर्चा का दौर जारी है। अब तक हुई बहस से तो यही समझ में आता है कि शायद विपक्ष को इस बात का अहसास बिल्कुल भी नहीं था कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा का जवाब देने आएंगे तो विपक्ष के द्वारा ऑपरेशन सिंदूर पर अब तक की गई राजनीति से बुना गया ताना-बाना इस तरह तार-तार हो जाएगा। लोकसभा में दो दिन से जारी चर्चा के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब जवाब देने के लिए खड़े हुए तो शायद विपक्ष को भी ये अंदाजा नहीं रहा होगा कि प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष को इस कदर एक-एक प्वाइंट पर इतना करारा पलटवार करेंगे । उनके भाषण में तथ्य था, आक्रामकता थी, विपक्ष पर वार था और सेना के शौर्य का गुणगान था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बात की शुरुआत ही विजयोत्सव से की और स्पष्ट कहा कि ये विजयोत्सव आतंकियों के हेडक्वार्टर को मिट्टी में मिलाने का है, ये विजयोत्सव सिंदूर की सौगंध पूरा करने का है, ये विजयोत्सव सेना के शौर्य की विजयगाथा है ।
पीएम मोदी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर अपनी बात विस्तार से रखते; उससे पहले ही उन्होंने यह साफ कर दिया कि लोकसभा में उनका यह बयान उन लोगों को आईना दिखाने का प्रयास है जिन्हें भारत का पक्ष नजर नहीं आता। उन्होंने पहलगाम हमले को भारत को हिंसा की आग में झोंकने का सुविचारित प्रयास करार दिया और कहा कि पहलगाम हमले के बाद ही सेना को कार्रवाई की खुली छूट दे दी गई थी जबकि नेता विपक्ष ने कहा था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सेना को खुली छूट नहीं दी गई। पीएम मोदी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हर उस आरोप का जवाब दिया जो वह समय-समय पर संसद के बाहर या भीतर उठाते रहे हें। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सेना के शौर्य की पीएम मोदी ने खुलकर प्रशंसा की और कहा कि आतंकियों को ऐसी सजा दी गई कि आज भी आतंक के आकाओं की नींद उड़ी हुई है । हमारी सेनाओं ने 22 मिनट में 22 अप्रैल का बदला निर्धारित लक्ष्य के साथ ले लिया और पाकिस्तान की परमाणु धमकी को भी झूठा साबित कर दिया।
प्रधानमंत्री ने एक और बात साफ कर दी कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जारी है और अगर पाकिस्तान ने दोबारा दुस्साहस किया तो उसे करारा जवाब मिलेगा। विदेश नीति के मसले पर लोकसभा में चर्चा के दौरान तमाम विपक्षी नेताओं ने सवाल किया और पूछा कि आखिरकार संघर्ष विराम किसके दबाव में हुआ। प्रधानमंत्री ने सख्त लहजे में बता दिया कि दुनिया के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा था। पीएम मोदी के इस वक्तव्य ने पूरे विपक्ष की राजनीति की हवा निकाल दी क्योंकि नेता विपक्ष ने भी सदन में प्रधानमंत्री मोदी को यह स्पष्ट करने की चुनौती दी थी कि वह इस बात की घोषणा करें कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ किसी के दबाव में नहीं रोका गया। पीएम ने देश को बताया कि 9 मई को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उन्हें फोन करके बताया था पाकिस्तान बहुत बड़ा हमला करने वाला है, इस पर उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति को साफ कह दिया था कि अगर पाकिस्तान का हमले का इरादा है तो भारत गोली का जवाब गोले से देगा।
पीएम ने बताया कि कैसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का दुनिया ने समर्थन किया जबकि केवल तीन देशों ने पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिया था। पीएम ने इस पर दुख जताया कि कुछ लोग सेना के तथ्यों की जगह पाकिस्तान के झूठ को आगे बढ़ाने में लगे हैं। पीएम ने बरसते हुए कहा कि पहलगाम में मारे गए लोगों में भी विपक्ष अपनी राजनीति तलाश रहा था। उन्होंने चेताया कि ऐसा कर के विपक्ष मीडिया में हेड लाइन तो ले सकता है लेकिन देशवासियों के दिलों में जगह नहीं बना सकता। हमारी मिसाइलों ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने फोन करके कहा, बस करो बहुत मारा, प्लीज हमला रोक दो।
कांग्रेस के पी चिदंबरम, प्रणति शिंदे जैसे नेताओं के बयानों की भी चुटकी लेते हुए पीएम मोदी ने जिक्र किया और कहा कि देश आत्मनिर्भर हो रहा लेकिन कांग्रेस मुद्दों के लिए पाकिस्तान पर निर्भर हो रही है । कांग्रेस के लोग प्रपंच के प्रवक्ता बन गए हैं और अब कांग्रेस का भरोसा पाकिस्तान के रिमोट कंट्रोल से बनता और बिगड़ता है। पीएम मोदी ने कहा कि देश इस बात से स्तब्ध है कि कांग्रेस पाकिस्तान को क्लीन चिट दे कर सरकार से ‘ऑपरेशन महादेव’ में मारे गए पाकिस्तानी आतंकियों के पाकिस्तानी होने के सबूत मांग रही है और यही सब पाकिस्तान भी मांग रहा है। प्रधानमंत्री ने उदाहरण दे कर कांग्रेस के पाकिस्तान से पुराने प्रेम का विस्तार से जिक्र किया और पुरानी कांग्रेस सरकारों द्वारा देश पर पाकिस्तान प्रायोजित बड़े-बड़े हमलों के बाद भी पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्ज दिए जाने एवं सिंधु जल समझौते का भी संदर्भ दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर वार तो किया पर साथ ही नसीहत भी दी कि दल हित में हमारे मत मिलें न मिलें लेकिन देश हित में हमारे मन जरूर मिलने चाहिए।































