ब्लिट्ज ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत विवाह पंजीकरण कराने की समय सीमा छह महीने से बढ़ाकर एक साल कर दी गई है। ऐसे में जिन लोगों ने अब तक अपना विवाह पंजीकृत नहीं कराया है, उनके लिए यह सही मौका है।
वहीं अधिनियम लागू होने के बाद हुई शादियों का पंजीकरण कराने की समय सीमा पहले की तरह 60 दिन ही रहेगी। इस संबंध में विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग की ओर से अध्यादेश जारी किया गया। इसे अब छह महीने के भीतर विधानसभा सत्र में संशोधन विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखा जाएगा। माना जा रहा है कि धामी सरकार 19 अगस्त से गैरसैंण में होने जा रहे मॉनसून सत्र में संशोधन विधेयक ला सकती है।
मीडिया ने समान नागरिक संहिता में किए जा रहे इस महत्वपूर्ण बदलाव का खुलासा किया था। उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद अब तक करीब तीन लाख विवाह पंजीकरण कराए जा चुके हैं।
उत्तराखंड में इसी वर्ष 27 जनवरी से यूसीसी लागू होने के बाद विवाह का पंजीकरण के अनिवार्य होने के बाद अब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा बढ़ा है। अब प्रतिदिन औसत 1634 शादियों का पंजीकरण हो रहा है। जबकि, इससे पहले 2010 के एक्ट में होने वाले विवाह पंजीकरण का प्रतिदिन औसत मात्र 67 ही था।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले, उत्तराखंड विवाह पंजीकरण अधिनियम-2010, के तहत शादियों का पंजीकरण होता था लेकिन तब बहुत कम लोग विवाह पंजीकरण कराते थे। वर्ष 2010 से लागू इस एक्ट के तहत 26 जनवरी 2025 तक कुल 3,30,064 विवाह पंजीकरण हुए। इस तरह पुराने एक्ट के अनुसार प्रतिदिन औसत विवाह पंजीकरण की संख्या 67 तक ही पहुंच पाई थी। 27 जनवरी 2025 से अब तक यूसीसी के तहत होने वाले विवाह पंजीकरण की संख्या 3,01,526 पहुंच गई है।
महिला हित सुरक्षित हो रहे
समान नागरिक संहिता के तहत होने वाले पंजीकरण की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। इससे कानून की व्यापकता और सार्थकता का पता चलता है। यूसीसी के तहत होने वाला प्रत्येक पंजीकरण, एक मजबूत समाज की दिशा में ठोस कदम है। महिला हित सुरक्षित हो रहे हैं।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री



























