ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। संस्कृत का महत्व किसी से छिपा नहीं है। इसकी महत्ता और बढ़ाने की तैयारी है। अब संस्कृत पढ़कर छात्र डॉक्टर बन सकेंगे। इसके लिए देशभर में 25 आयुर्वेद गुरुकुलम की स्थापना की जाएगी। यह आयुर्वेद गुरुकुलम केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा संचालित होंगे। इसमें सात वर्ष छह महीनों के बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी प्रोग्राम को संचालित किया जाएगा। इसमें भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और अन्य विषयों के साथ संस्कृत की भी पढ़ाई होगी, ताकि आयुर्वेद के मूल स्रोतों को संस्कृत के माध्यम से ही पढ़ाया जा सके। इसमें 10वीं के छात्र दाखिले के लिए आवेदन कर सकेंगे।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा है कि भारत सरकार ने संस्कृत और आयुर्वेद विद्या के समावेशी उन्नयन के लिए ‘आयुर्वेद गुरुकुलम की स्थापना करने का एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। देशभर में इस नये पाठ्यक्रम के प्रारंभ हो जाने से संस्कृत पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को अपनी पढ़ाई के आरंभिक चरण में ही सुअवसर मिलेगा। साथ ही साथ संस्कृत और आयुर्वेद के संबंधों की पुनः सुदृढ़ करने और ज्ञान के परम्परा को भी प्रशस्त करने का अवसर मिल सकेगा।
कुलपति ने कहा कि आयुर्वेद विद्या को ब्रिटिश सरकार के ‘फूट डालो और शासन करो’ की कुनीति के अन्तर्गत सर्वथा ओझल करने का षड्यंत्र किया गया था ताकि आयुर्वेद जैसी प्राचीन चिकित्सा विद्या के साथ संस्कृत को भी उपेक्षित किया जा सके। इसका बहुत बड़ा कारण यह भी था कि आयुर्वेदिक की सभी विद्याएं संस्कृत में ही तो मूल रूप में लिखी गयी हैं। कुलपति प्रो वरखेड़ी ने कहा है कि आयुर्वेद गुरुकुलम ्केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन में संचालित होंगे और इसके लिए नियमानुसार देश भर में परिसरों को खोला जाएगा। साथ ही साथ इनमें अस्पताल के साथ अन्य सभी मूलभूत सुविधाओं संसाधनों और संरचनाओं की भी व्यवस्था होगी।
विश्वविद्यालय के डीन प्रो मदन मोहन झा ने बताया कि सरकारी नियमानुसार इस कोर्स में दाखिला प्रवेश परीक्षा के आधार पर होगा। कुलसचिव प्रो आरजी मुरली कृष्ण ने कहा है विश्वविद्यालय के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व भारत सरकार द्वारा दिया गया है। निदेशक योजना प्रो मधुकेश्वर भट का मानना है कि इससे योजना विभाग को और अधिक दूरगामी योजनाओं को क्रियान्वित करने का अवसर मिलेगा । परीक्षा नियंत्रक प्रो पवन कुमार ने भी कहा कि इससे संस्कृत का भी और विकास होगा।