ब्लिट्ज ब्यूरो
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार सेना प्रमुख आसिम मुनीर के आगे घुटने टेकती हुई नजर आ रही है। पाकिस्तानी संसद में बुधवार को एक ऐतिहासिक और विवादास्पद संवैधानिक संशोधन पारित कर दिया गया। इसके तहत फील्ड मार्शल मुनीर को नई शक्तियां मिल गई है। संसद से पारित इस विधेयक को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा मंजूरी मिलने के बाद आसिम मुनीर पाकिस्तान में आधिकारिक रूप से सबसे ताकतवर हो गया है। इसके विरोध में गुरुवार को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने अपना इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह संशोधन संविधान को कमजोर करता है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता करता है।
मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन दिए जाने के कुछ देर बाद ही जस्टिस मंसूर अली शाह और जस्टिस अतहर मिनल्लाह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। दोनों न्यायमूर्ति ने अपने इस्तीफे में इस संविधान संसोधन को पाकिस्तान के संविधान के ऊपर एक गंभीर हमला करार दिया। उन्होंने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट को विघटित करने वाला और न्यायपालिका को कार्यपालिका के नियंत्रण में रखने वाला है। यह पाकिस्तानी संविधान के और लोकतंत्र के मूल पर प्रहार है। न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने अपने त्यागपत्र में लिखा कि उन्होंने संविधान की रक्षा करने की शपथ ली है। उन्होंने कहा, 27वें संशोधन के पारित होने से पहले, मैंने पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि इसके प्रस्तावित प्रावधान हमारी संवैधानिक व्यवस्था के लिए क्या मायने रखते हैं। चुप्पी और निष्क्रियता के माहौल में, अब ये आशंकाएं सच साबित हो रही हैं। मिनल्लाह ने कहा कि उन्होंने जिस संविधान की रक्षा की शपथ ली थी, वह अब नहीं रहा।
इससे पहले, पाकिस्तान सरकार द्वारा अपनाया गया यह संविधान संशोधन आसिम मुनीर को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस नाम के शीर्ष पद पर विराजमान कर देगा। इस पद के माध्यम से उन्हें पाकिस्तान की तीनों सेनाओं की कमान मिल जाएगी। इस कानून के बाद मुनीर जीवन भर इस पद पर रहेंगे, इसके अलावा उनके कार्यकाल के बाद भी उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
आपको बता दें, पाकिस्तान की संसद के निचले सदन में यह विधेयक दो तिहाई बहुमत से पारित हुआ था। इसके पक्ष में कुल 234 वोट, जबकि विपक्ष में केवल चार वोट पड़े थे। इस सत्र के दौरान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो जरदारी मौजूद थे। यहां पर इमरान खान की पार्टी ने सत्र का विरोध किया और विधेयक की प्रतियां फाड़कर प्रदर्शन किया।































