ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश के 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईटीएस) में 2024-25 का प्लेसमेंट सीजन चल रहा है। इसके फाइनल नतीजे जून के बाद आएंगे। बीटेक कोर्सेस के छात्रों को इस बार बेहतर नतीजों की उम्मीद है, लेकिन साल 2020-21 से 2023-24 तक के आंकड़े कुछ और ही कहते हैं। 2022-23 को तुलना में 2023-24 में 20 आईआईटी में प्लेसमेंट स्ट्राइक रेट 4% से 20% तक गिरा। इंजीनियरिंग एजुकेशन में देश-विदेश की रैंकिंग में भारत का नाम रोशन करने वाले आईआईटी दिल्ली, मद्रास, बांबे, रूड़की, गुवाहाटी समेत कई बड़े नाम इस लिस्ट में है। 2021-22 की तुलना में 2023-24 में 22 आईआईटी में प्लेसमेंट प्रतिशत कम रहा। संसदीय पैनल ने भी इस पर चिंता जताई है।
शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आईआईएम जैसे कुछ संस्थानों को छोड़कर साल 2021-22 और 2023-24 के बीच आईआईटी और ट्रिपल आईटी में प्लेसमेंट में असामान्य गिरावट आई है। एनआईटी में भी इसी तरह का ट्रेंड दिखाई दे रहा है। पिछले दो सीजन में छात्रों को मिले एवरेज फाइनेंशियल पैकेज में गिरावट आई है। प्लेसमेंट मुख्य तौर पर मार्केट बाडी पर निर्भर करती है, लेकिन संबद्ध विभाग को रोजगार क्षमता बढ़ाने के तरीके खोजने और उसके अनुसार उपाय करने चाहिए।।
क्यों आ रही प्लेसमेंट में गिरावट
प्लेसमेंट मुख्य तौर पर मार्केट की स्थिति पर निर्भर करती है। जब मार्केट डाउन हो तो कंपनियों के पास नई भर्तियों का स्कोप कम होता है। साथ ही आईआईटी ने अपना मिनिमम स्टैंडर्ड भी तय कर रखा है कि वहां पर आने वाली कंपनियां छात्रों को मिनिमम कितना पैकेज देंगी। बीटेक के बाद बड़ी संख्या में छात्र एमबीए भी करते हैं, ताकि उनको अच्छे अवसर मिल सकें। साथ ही मंदी भी एक कारण है।