ब्लिट्ज ब्यूरो
गाजियाबाद। गाजियाबाद से दूसरे जिलों के लिए रोडवेज बसों में सफर करना यात्रियों के लिए पहले से महंगा साबित हो रहा है। केवल इतना ही नहीं सफर में उनका समय भी ज्यादा खर्च हो रहा है। असल में गाजियाबाद डिपो की बसों का संचालन मोहननगर और कौशांबी से होने लगा है। किराया बढ़ने से यात्रियों की संख्या में 25-30% की कमी आई है।
मिसाल के तौर पर गाजियाबाद से अलीगढ़ का किराया 17 रुपये और मेरठ का 7.80 रुपये तक बढ़ा है। बढ़े किराए का उलटा असर यह हुआ कि अब यात्री रोडवेज बसों से परहेज कर रहे हैं। इससे परिवहन निगम को रोजाना दो से ढाई लाख का नुकसान हो रहा है। इस आर्थिक चोट के कारण अधिकारियों को उच्चाधिकारियों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। गाजियाबाद डिपो के अधिकारी इसका कारण बसों को दूसरी जगह शिफ्ट करना बता रहे हैं। असल में, गाजियाबाद डिपो की 53 बसों का संचालन अलीगढ़, बुलंदशहर व मेरठ के लिए किया जाता है। ये सभी बसें अनुबंधित हैं। जब यहां की बसों का संचालन गाजियाबाद अड्डे से किया जाता था तो रोजाना करीब आठ से नौ हजार यात्री सफर करते थे। एक माह पहले तक भी बसों का संचालन गाजियाबाद बस अड्डे के अंदर व आसपास से ही किया जा रहा था
लेकिन बस अड्डे का निर्माण पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में होने से मेरठ व बुलंदशहर की बसों का संचालन मोहननगर व अलीगढ़ की बसों का संचालन कौशांबी से शुरू किया गया। इससे अलीगढ़ का किराया 17 रुपये व बुलंदशहर व मेरठ का किराया 7.80 रुपये तक बढ़ गया है।
किराए का अतिरिक्त भार
बढ़ा तो यात्रियों का आंकड़ा करीब छह से सात हजार पर ही सिमट कर रह गया है। इन पर भी किराए का अतिरिक्त भार पड़ रहा है। पहले प्रत्येक बस में औसतन 70 सीटें भरी रहती थीं। अब बसों में आधे यात्री ही सफर कर रहे हैं।
यात्री घटने से एक तरफ चालक-परिचालकों को स्थानीय अधिकारी फटकार रहे हैं। वहीं, अधिकारियों को भी मुख्यालय से फटकार लग रही हैं। बीते सप्ताह हुई बैठक में भी अधिकारियों को फटकार झेलनी पड़ी थी।
गाजियाबाद डिपो के सूत्रों का कहना है कि पहले बुलंदशहर, मेरठ व अलीगढ़ के लिए हर बस के रोजाना तीन-तीन चक्कर लगते थे। लेकिन दूरी बढ़ने और कम यात्री आने से केवल दो ही चक्कर लग पा रहे हैं। यात्रियों के इंतजार में बसों को ज्यादा देर खड़े रहना पड़ रहा है। गाजियाबाद बस अड्डे से हर शहर के लिए 10 मिनट में बसों का संचालन होता था। अब 20 मिनट से अधिक में हो रहा है।
इस नई परिस्थिति का लाभ गाजियाबाद के पुराना बस अड्डा फ्लाइओवर व उसके नीचे खड़ी डग्गामार बसें उठा रही हैं। ये मेरठ व बुलंदशहर की सवारियां ले जाती हैं। यहां पहुंचने वाले यात्रियों को जब रोडवेज बसें नहीं मिलतीं तो वह डग्गामार बसों का सहारा लेते हैं।