ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में हुई मुठभेड़ में तीन आतंकियों को सेना ने मार डाला है। भारतीय सेना के मेजर जनरल समीर श्रीवास्तव ने बताया कि हमने इस ऑपरेशन में मानव रहित वाहन, ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल किया है जिससे हमें त्वरित और सफल परिणाम मिले। अब जरा साल 2019 में चलते हैं, जब ‘सप्त शक्ति’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेमिनार–2019 का आयोजन हरियाणा के हिसार सैन्य स्टेशन में किया गया।
उस वक्त सेमिनार में बताया गया था कि भारतीय सेना 3 साल के भीतर ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को पूरी तरह अपना लेगी। इससे डेटा विश्लेषण, समस्याओं की मॉडलिंग और इसे लागू करने की समय सीमा काफी कम हो जाएगी। आज नतीजा सबके सामने है। सेना और सुरक्षा बलों ने कई तरह से एआई को अपना बिग ब्रदर बना लिया है। लद्दाख में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और कश्मीर में पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा (एलओसी) की निगरानी एआई आधारित ड्रोन, विमान और रोबोटिक डॉग्स भी करने लगे हैं। ये ऐसी रक्षा दीवार साबित हो रहे हैं कि दुश्मन भी हमला करने से पहले 100 बार सोचेगा।
एआई के इस्तेमाल से क्या-क्या कर रही सेना
इंडियन आर्मी अपनी शक्ति और युद्ध की क्षमताओं को लगातार बढ़ाने की दिशा में काम रही है। इसमें खास है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो चुका है जिससे मानव रहित टैंक, हवाई यान और अधिक से अधिक क्षमताओं वाले रोबोटिक हथियारों से लैस होगी भारतीय सेना। इसके प्रयोग से सेना अपने ऑपरेशन को बेहतर तरीके से कर सकेगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से कम समय में डेटा विश्लेषण, मॉडलिंग और सिमुलेशन के क्षेत्र में सूक्ष्म और दीर्घ स्तर पर सटीक ऑपरेशन संचालित करने में मददगार साबित होगी।
सेना में एआई का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा
वर्तमान में एआई को कमांड और नियंत्रण, खुफिया जानकारी, निगरानी, रसद, स्वास्थ्य सेवा, सूचना युद्ध, साइबर युद्ध, प्रशिक्षण और सिमुलेशन, स्वायत्त प्रणालियों और घातक स्वायत्त हथियारों में शामिल किया जा रहा है।