ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने डोंबिवली में बुजुर्ग दंपती की पिटाई के मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों पर ठाणे पुलिस कमिश्नर की ओर से दी गई दो साल की इंक्रीमेंट रोकने की सजा को अपर्याप्त बताते हुए कड़ी नाराज़गी जताई। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अधिकारियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि वह ठाणे पुलिस कमिश्नर की ओर से संबंधित पुलिस अधिकारियों पर लगाए गए दो साल की वेतनवृद्धि रोकने की सजा से ‘सहमत नहीं’ है। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों को वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा में लापरवाही बरतने के लिए नौकरी से बर्खास्त कर देना चाहिए।
क्या है पूरा मामला?
यह दंपती ठाणे के डोंबिवली इलाके में अपने बड़े बेटे के साथ रहते हैं। एक रोज उनकी बेटी ने माता-पिता के शरीर पर चोट के निशान देखे और घर के अंदर सीसीटीवी लगवाए। कैमरे में बेटे को बुजुर्ग दंपति की बुरी तरह पिटाई करते हुए देखा गया। बेटी ने यह फुटेज लेकर डोंबिवली पुलिस स्टेशन का दरवाजा खटखटाया, लेकिन पुलिस अधिकारी ने एफआईआर दर्ज करने के बजाय केवल एक नॉन कॉग्निज़ेबल मामला दर्ज किया और उन्हें वापस भेज दिया। यह सिर्फ एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ। इसके बाद बेटी ने वकील ए. आर. कुलकर्णी और ए.आर. मंडलिक के माध्यम से हाई कोर्ट का रुख करते हुए एफआईआर दर्ज कराने और डोंबिवली पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक व अन्य अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की मांग की।
कोर्ट ने पुलिस अधिकारी को लगाई फटकार
हाई कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज और चोटों का विवरण देखकर मामले के ‘खौफनाक तथ्य’ दर्ज किए। अदालत में एक पुलिस अधिकारी ने स्वीकार किया कि उसे बुजुर्ग दंपती की पिटाई की शिकायत मिली थी, लेकिन उसने दावा किया कि उसे कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं दिखाई गई। कोर्ट ने उसकी इस ‘धृष्टता’ पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उसे गंभीर शिकायत पर पूरी ईमानदारी से कार्रवाई करनी चाहिए थी।































