ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी के अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें मोदी सरकार की चुनावी बांड योजना को रद कर दिया गया था। चुनावी बांड योजना के जरिये राजनीतिक दलों को गुमनाम चंदा दिया जाता था।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला तथा जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ ने कहा कि रिकार्ड में कोई स्पष्ट त्रुटि नहीं है। शीर्ष अदालत ने पुनर्विचार याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई के आग्रह को भी खारिज किया। अपने आदेश में सर्वोच्च कोर्ट ने कहा, फैसले पर फिर से विचार करने का कोई मामला नहीं बनता। इसलिए पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
इस साल 15 फरवरी को संविधान पीठ ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद कर दिया था। अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेटुंपरा और अन्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं में तर्क दिया गया कि यह मामला विशेष रूप से विधायी और कार्यकारी नीति के अधिकार क्षेत्र में आता है। कोर्ट यह नोटिस करने में विफल रहा कि इस पर लोगों की राय विभाजित हो सकती है और बहुसंख्यक इस योजना के समर्थन में हो सकते हैं।