ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना में आने वाले दिनों में सुखोई-30 के बाद सबसे ज्यादा फाइटर स्वदेशी तेजस होंगे। इसकी ताकत और मारक क्षमता को स्वदेशी तरीके से बढ़ाया जा रहा है। कोई ना कोई नया सिस्टम ईजाद किया जा रहा है। डीआरडीओ ने इस बार ऐसा सिस्टम बनाया है जो तेजस की फ्लाइंग रेंज को अनलिमिटेड कर देगा। डीआरडीओ के बेंगलुरू स्थित बायो-इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रो मेडिकल लैब (डीईबीईएल) ने ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन जेनरेटिंग सिस्टम (‘ओबोस’)- आधारित इंटीग्रेटेड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (आईएलएसएस ) का सफल परीक्षण किया। इस सिस्टम से पायलट को उड़ान के दौरान सांस लेने के लिए जरूरी ऑक्सीजन मिलती रहेगी।
फाइटर की रेंज फ्यूल पर नहीं, ऑक्सीजन पर निर्भर करती है। सुनकर जरूर चौंक गए होंगे लेकिन यह सच है। फाइटर ऑपरेशन तो तब तक ही अंजाम दिया जा सकता है जब तक पायलट के पास सांस लेने वाली ऑक्सीजन है। अभी तक मौजूदा एयरक्राफ्ट में पायलट पारंपरिक लिक्विड ऑक्सीजन सिलेंडर-आधारित सिस्टम के साथ उड़ान भरता है। अमूमन 10,000 फीट की ऊंचाई तक ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती लेकिन जैसे ही एलटिट्यूड बढ़ता है ऑक्सीजन की जरूरत शुरू हो जाती है। मिशन के हिसाब से पायलट फ्यूल और ऑक्सीजन लेकर चलता है। अगर उड़ान 10,000 फीट की ऊंचाई तक है तो तेल की ज्यादा खपत होती है। ऊंचाई बढ़ाई तो फ्यूल की खपत तो कम हो जाती है लेकिन ऑक्सीजन की खपत शुरू हो जाती है। मिशन के दौरान अगर फ्यूल कम हो गया तो एयरक्राफ्ट को मिड एयर रिफ्यूल किया जा सकता है लेकिन अब तक ऑक्सीजन के लिए एयरक्राफ्ट को वापस आना ही पड़ता है। इन नए सिस्टम के जरिए अब एयरक्राफ्ट में ही ऑक्सीजन जेनरेट होती रहेगी। इससे मिशान ज्यादा लंबा चलाया जा सकता है।
50,000 फीट पर रहा परीक्षण सफल
यह परीक्षण एचएएल और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के एलसीए- प्रोटोटाइप व्हीकल-3 पर किया गया। यह प्रणाली अलग अलग उड़ान परिस्थितियों में 50,000 फीट तक की ऊंचाई और हाई-जी फोर्स मनूवर में सभी एयरोमेडिकल मानकों पर खरी उतरी।