ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भाजपा और आरएसएस अवैध घुसपैठ और डेमोग्राफी में बदलाव का मुद्दा लंबे समय से उठाते रहे हैं। अब स्वतंत्रता दिवस पर डेमोग्राफिक मिशन का ऐलान करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को नई धार दे दी है। यह मुद्दा सुर्खियों में आता रहा। बीएसएफ और एसएसबी जैसे सशस्त्र बलों की आंतरिक रिपोर्ट में भी सीमाई इलाकों में अवैध मदरसे और इसकी आड़ में डेमोग्राफी में बदलाव का उल्लेख हो चुका है। बांग्लादेश से सटी सीमाओं के अलावा नेपाल सीमा पर भी इस तरह की गतिविधियों की रिपोर्ट सुरक्षा खुफिया एजेंसियों ने समय-समय पर दी हैं। झारखंड में तो – यह प्रमुख चुनावी मुद्दा था। अब एसआईआर पर बहस के बीच बिहार में भी भाजपा इसे प्रमुख मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है। डेमोग्राफी में बदलाव और आदिवासियों का जिक्र करते हुए सीमावर्ती इलाकों में मुस्लिम और हिंदू समुदाय की आबादी में हो रहे परिवर्तन पर जताई गई चिंता केवल झारखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के कई राज्यों में यह मुद्दा अहम बन चुका है।
राजनीतिक कारण नहीं
बीएसएफ के पूर्व एडीजी पीके मिश्रा का कहना है कि उन्हें इस घोषणा के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं दिखता, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। सुरक्षा एजेंसियां इस विषय पर कई बार अपनी चिंता जता चुकी हैं। झारखंड में बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं के अवैध रूप से बसने और शादी करने की खबरें आईं।
घुसपैठियों की वजह से हो रहा डेमोग्राफी में बदलाव
•झारखंड: साल 1951 में मुसलमानों की आबादी 8.9 प्रतिशत थी, जो 2011 में 14.5 प्रतिशत हो गई। संथाल परगना के छह जिलों, गोड्डा, देवधर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुड़ में मुस्लिम आबादी 9 से बढ़कर 23 प्रतिशत होने का दावा किया गया। कहा जाता है कि जहां ये आबादी बढ़ी, वे बांग्लादेश से घुसपैठ कर आए।
•बिहार : सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी लगभग 50 प्रतिशत है, जबकि किशनगंज में यह करीब 70 प्रतिशत है। भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ताओं का आरोप है कि यहां भी अवैध रूप से बांग्लादेशी मुस्लिम बस रहे हैं। 20 सितंबर 2024 को झारखंड की चुनावी रैली के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, एक बार झारखंड की हेमंत सरकार बदल दीजिए, फिर रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को चुन-चुनकर बाहर भेजने का काम भाजपा करेगी। इसके बाद, तीन नवंबर को भी उन्होंने अवैध घुसपैठ का मुद्दा उठाया था।
•असम : भाजपा का दावा था कि राज्य में चार दशकों में मुस्लिम आबादी 11 प्रतिशत बढ़कर 34.22 प्रतिशत हो गई, जबकि हिंदू आबादी 11 प्रतिशत घटकर 61.46 प्रतिशत रह गई है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया कि 34.22 प्रतिशत आबादी के साथ कैसे बन गया मुसलमान दूसरा सबसे बड़ा समुदाय
प. बंगाल : आठ जिलों में हिंदू आबादी तीन प्रतिशत तक कम होने का दावा किया गया। मुर्शिदाबाद में मुसलमानों की हिस्सेदारी 33 प्रतिशत है और हिंदू अल्पसंख्यक हैं। आरोप है कि बांग्लादेश से घुसपैठ कर आए मुसलमानों से यह स्थिति बनी।
•उत्तर प्रदेश : नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश के बहराइच और आसपास के जिलों में भी मुस्लिम आबादी में वृद्धि को लेकर चिंता जताई जाती रही है। उत्तराखंड में डेमोग्राफी बदलाव के मुद्दे पर भी सत्ता पक्ष मुखर रहा है।