ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला की तरफ से की गई नई स्टडी को लेकर अहम जानकारी दी है। स्टडी में भारत के चंद्रयान-2 (सीएच-2) ऑर्बिटर से रेडियो संकेतों का विश्लेषण किया गया। नई स्टडी से पता चला है कि चंद्रमा का आयनमंडल पृथ्वी की भू-चुंबकीय टेल में प्रवेश करने पर अप्रत्याशित रूप से हाई इलेक्ट्रॉन डेंसिटी दर्शाता करता है।
चंद्रमा पर कैसा है प्लाज्मा का रुख
यह खोज इस बात पर नई रोशनी डालती है कि चंद्रमा के वातावरण में प्लाज्मा कैसे व्यवहार करता है। साथ ही पहले की तुलना में चंद्रमा के अवशिष्ट चुंबकीय क्षेत्रों के अधिक प्रभाव का सुझाव देता है। रिसर्चर्स ने कहा कि चंद्रमा के वातावरण में ये निष्कर्ष प्लाज्मा गतिशीलता को आकार देने में चंद्रमा के चुंबकीय क्षेत्रों की संभावित भूमिका की ओर इशारा करते हैं। इसरो रिसर्च टीम ने यह भी कहा कि सीएच-2 ऑर्बिटर अच्छी स्थिति में है और आवश्यकतानुसार डेटा प्रदान कर रहा है।
कैसे हुई स्टडी
रिजल्ट्स का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के चारों ओर प्लाज्मा डिस्ट्रीब्यूशन की स्टडी के लिए नई विधि का उपयोग किया। इस विधि में, उन्होंने दो-तरफा रेडियो ऑकल्टेशन प्रयोग में एस-बैंड टेलीमेट्री और टेलीकमांड (टीटीसी) रेडियो संकेतों का यूज करके प्रयोग किए, चंद्रमा की प्लाज्मा परत के माध्यम से सीएच-2 के रेडियो प्रसारण को ट्रैक किया। ये संकेत भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन), बयालू, बैंगलोर में प्राप्त किए गए थे। परिणामों से पता चला कि चंद्रमा के वातावरण में इलेक्ट्रॉन घनत्व आश्चर्यजनक रूप से बहुत अधिक है। ये लगभग 23,000 इलेक्ट्रॉन प्रति घन सेंटीमीटर है, जो चंद्रमा के वेक क्षेत्र (इसकी खोज पहले इसी टीम ने की थी) में देखे गए घनत्वों के बराबर है। चंद्रमा के सूर्यप्रकाश वाले भाग की तुलना में लगभग 100 गुना अधिक है।
क्या होगा फायदा
यह स्टडी चंद्रमा के आसपास के जटिल प्लाज्मा वातावरण को उजागर करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समझना कि लूनर आयनमंडल विभिन्न अंतरिक्ष वातावरणों में किस प्रकार व्यवहार करता है, इससे लूनर हैबिटेट के लिए प्लानिंग करने में भी सुधार होगा, विशेष रूप से भूपर्पटी के चुंबकीय क्षेत्रों से प्रभावित क्षेत्रों में। साथ ही चंद्रयान-2 के विज्ञान मिशन के लूनर रिसर्च को आगे बढ़ाने में निरंतर प्रभाव को उजागर करता है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक देश चंद्रमा अन्वेषण के लिए तैयार हो रहे हैं, इस तरह के निष्कर्ष लूनर साइंस और टेक्नोलॉजी के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।













			

















