राजेश दुबे
नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने नेपाल में सरकार के खिलाफ हुए जनता के विद्रोह का जिक्र करते हुए कहा है कि पड़ोसी देशों में जो घटनाएं घट रही हैं, उन्हें देखकर हमें अपने संविधान पर गर्व है।
सीजेआई ने केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा पेश किए जा रहे आंकड़ों को रोकते हुए यह टिप्पणी की, जिनमें दावा किया गया था कि राज्यपालों ने विधानसभा से पारित बहुत कम विधेयकों को रोक रखा है। संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे सीजेआई बीआर गवई की टिप्पणी से सहमति व्यक्त करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ ने पिछले साल पड़ोसी देश बांग्लादेश में हुए विद्रोह और तख्तापलट का उदाहरण दिया।
पीठ ने की टिप्पणी
दोनों जस्टिसों ने कहा कि ये दोनों (नेपाल, बांग्लादेश) ही घटनाएं इस बात की कड़ी याद दिलाती हैं कि संवैधानिक विखंडन किस तरह राष्ट्रों को उथल-पुथल में धकेल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा विधेयकों में देरी के आरोपी राज्यपालों का बचाव किए जाने के दौरान की।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 1970 से 2025 तक केवल 20 विधेयक ही राष्ट्रपति के पास रखे गए थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि 90% राज्य विधेयक एक महीने के भीतर ही पारित हो जाते हैं। तुषार मेहता की इस टिप्पणी पर मुख्य न्यायाधीश ने आपत्ति जताई।
सीजेआई की आपत्ति
सीजेआई ने तुषार मेहता से कहा कि हम आंकड़े नहीं ले सकते। यह उनके साथ न्याय नहीं होगा। हमने उनके आंकड़े नहीं लिए, तो आपके आंकड़े कैसे ले सकते हैं? उन्होंने राज्य सरकारों द्वारा पहले पेश किए गए आंकड़ों पर आपत्ति जताई।
दरअसल हुआ कुछ यूं कि प्रेसिडेंशियल रेफरेंस मामले की सुनवाई के दौरान संविधान पीठ अलग-अलग पक्षों को सुन रही थी। इसी बीच सॉलिसिटर जनरल ने भी बहस में हिस्सा लिया। उन्होंने संविधान की शक्ति पर जोर देते हुए इमरजेंसी का जिक्र किया। तुषार मेहता ने कहा, जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तब जनता ने ऐसा सबक सिखाया कि न सिर्फ कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई, बल्कि इंदिरा गांधी अपनी सीट भी हार गईं ं। इसके बाद दूसरी सरकार आई, लेकिन जब वह जनता को संभाल न पाई तो उसी जनता ने इंदिरा गांधी को दोबारा सत्ता में पहुंचा दिया। यही संविधान की ताकत है। इस पर सीजेआई ने तुरंत जोड़ा, वो भी प्रचंड बहुमत के साथ। सॉलिसिटर जनरल ने सहमति जताते हुए कहा-हां, यही हमारे संविधान की ताकत है और यह राजनीतिक तर्क नहीं, बल्कि सच्चाई है।