ब्लिट्ज ब्यूरो
कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने जा रहे भारतीय छात्रों के लिए स्टूडेंट वीजा को लेकर बड़ी खबर है। इस बारे में नए नियम बने हैं। 1 जनवरी 2025 से, स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन करते समय लैटर ऑफ ऑफर की जरूरत नहीं होगी। इसकी जगह अब कन्फर्मेशन ऑफ एनरोलमेंट (सीओई) देना होगा। यह बदलाव ऑस्ट्रेलियाई सरकार के गृह मामलों के विभाग द्वारा घोषित किया गया है। सरकार का मानना है कि सीओई से छात्र की पढ़ाई के प्रति प्रतिबद्धता ज्यादा साफ दिखाई देती है।
सरकार ने कहा कि नए नियम 1 जनवरी 2025 को या उसके बाद जमा किए गए आवेदनों पर लागू होंगे। इससे पहले आवेदन करते समय अगर आपने सिर्फ लैटर ऑफ ऑफर दिया है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आपका आवदेन पहले की तरह ही मान्य रहेगा। 1 जनवरी 2025 के बाद बिना सीओई के आवेदन करन पर उसे मान्य नहीं माना जाएगा। सरकारी बयान में कहा गया है, 1 जनवरी 2025 को या उसके बाद जमा किए गए आवेदन लेटर ऑफ ऑफर स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
ब्रिजिंग वीजा भी नहीं मिलेगा
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि सीओई न होने पर ब्रिजिंग वीजा भी नहीं मिलेगा, क्योंकि बिना सीओई का आवेदन ही अमान्य हो जाता है। इस तरह अमान्य आवेदन पर ब्रिजिंग वीजा नहीं दिया जा सकता। सरकार का कहना है, आवेदन के समय सीओई न देने से आवेदन अमान्य हो जाएगा। वीजा निर्णयकर्ता अमान्य आवेदन का मूल्यांकन नहीं कर सकते। जहां मूल वीजा आवेदन मान्य नहीं है, वहां ब्रिजिंग वीजा नहीं दिया जा सकता है। हाल के समय में ऑस्ट्रेलिया ने कई सारे वीजा नियम बनाए हैं। वहीं, हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एमडी 107 प्रोग्राम को एमडी 111 प्रोग्राम से बदल दिया है। इससे विदेशी छात्रों के वीजा प्रोसेसिंग में देरी होने की संभावना जताई गई है। एमडी 111 के तहत वीजा प्रोसेसिंग को दो कैटेगरी में बांटा जाएगा, जिसमें हाई प्रायोरिटी और स्टैंडर्ड प्रायोरिटी शामिल है। यूनिवर्सिटी सेक्टर एमडी 107 को हटाने से खुश है, लेकिन एमडी 111 से वे ज्यादा खुश नहीं हैं। एक कोटे के तहत पूरा सिस्टम काम करेगा, जिसकी वजह से कुछ छात्रों को जल्दी वीजा मिलेगा, जबकि कुछ को देरी से।