डा. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। देश की पहली हाइड्रोजन पॉवर्ड ट्रेन का संचालन नए साल के शुरुआती तीन महीने के अंदर हो सकता है। इसका डिजाइन लखनऊ के ‘अनुसंधान, अभिकल्प एवं मानक संगठन- (आरडीएसओ- रिसर्च, डिजाइनिंग एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन) ने तैयार किया है। इस ट्रेन में 8 पैसेंजर कोच होंगे, यानी 2638 यात्री एक बार में हाइड्रोजन ट्रेन में यात्रा कर पाएंगे। इसकी स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। यात्री कोच के अलावा 2 कोच हाइड्रोजन सिलेंडर के लिए भी होंगे। चेन्नई की इंटिग्रिल कोच फैक्ट्री में इसके इंटीग्रेशन का काम चल रहा है।
भारतीय रेलवे ने साल 2030 तक खुद को ‘नेट जीरो कार्बन एमिटर’ बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए वह कई नए कदम उठा रहा है। इसमें हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें चलाना भी शामिल है। पहली हाइड्रोजन ट्रेन अगले साल में शुरू हो सकती है। इससे पहले, इस साल के आखिर तक इसकी टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। यह पहली हाइड्रोजन ट्रेन दिल्ली डिवीजन के 89 किलोमीटर लंबे जींद-सोनीपत रूट पर चलेगी।
35 हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी
यह प्रोजेक्ट रेलवे के उस बड़े प्लान का हिस्सा है, जिसके तहत वह हेरिटेज और पहाड़ी रास्तों पर 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाना चाहता है। इस प्रोजेक्ट को ‘हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज’ नाम दिया गया है। हाइड्रोजन ट्रेनें पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं। इनसे प्रदूषण बिलकुल नहीं होता है। यह रेलवे के उस लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा, जिसके तहत वह 2030 तक खुद को ‘नेट ज़ीरो कार्बन एमिटर’ बनाना चाहता है।
इसके लिए रेलवे और भी कई कदम उठा रहा है। इन ट्रेनों में बिजली बचाने वाली एचओजी तकनीक और एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल, कम बिजली खर्च करने वाले उपकरण और पेड़ लगाना शामिल है। इसके अलावा, रेलवे स्टेशनों और जमीन पर सोलर प्लांट भी लगाए जा रहै हैं।
2800 करोड़ रुपये का आवंटन
हाइड्रोजन ट्रेन प्रोजेक्ट पर रेलवे काफी पैसे खर्च कर रहा है। इस साल के बजट में 35 हाइड्रोजन ट्रेनों के लिए 2800 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
साथ ही, हेरिटेज रूट पर हाइड्रोजन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 600 करोड़ रुपये अलग से दिए गए हैं। इसके अलावा, रेलवे ने डीजल से चलने वाली एक डीईएमयू ट्रेन को हाइड्रोजन से चलाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है। इसके लिए 111.83 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत ट्रेन में हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगाई जाएगी। ज़मीनी स्तर पर ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। कुल मिलाकर, हाइड्रोजन ट्रेन प्रोजेक्ट भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम है। यह प्रोजेक्ट न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि भारत को ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में भी मदद करेगा।
हाइड्रोजन फ्यूल पर जर्मनी, चीन जैसे देश काम कर चुके हैं पर बड़े पैमाने पर कहीं भी ये प्रयोग सफल नहीं रहा है। आरडीएसओ अधिकारियों की जानकारी के अनुसार, अभी सिर्फ़ जर्मनी में ही हाइड्रोजन ट्रेन दो बोगियों के साथ चल रही है। आरडीएसओ के डायरेक्टर जनरल उदय बोरवनकर ने इसके बारे में जानकारी दी।
जर्मनी में पहली हाइड्रोजन ट्रेन
बता दें कि जर्मनी की कोराडिया आईलिंट हाइड्रोजन ईंन्धन सेल द्वारा संचालित दुनिया की पहली यात्री ट्रेन है। ये ट्रेन कम शोर करती है और इससे निकास के रूप में केवल भाप और संघनित पानी निकलता है। ये ट्रेन एक बार में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 1000 किमी दौड़ सकती है। जर्मनी में साल 2018 से इसका परीक्षण किया जा रहा है।
चीन में एशिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन
चीन ने भी हाल ही में अर्बन रेलवे के लिए एशिया की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन शुरू की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे सिंगल टैंक पर 600 किमी की रेंज मिलती है, जिसकी टॉप स्पीड 160 किमी प्रति घंटा।