ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। आईपीएल में आरसीबी की ऐतिहासिक जीत के बाद बेंगलुरु में हुए विजय जश्न के दौरान 11 परिवारों में मातम छा गया। चिन्नास्वामी स्टेडियम और विधानसभा के आसपास उमड़ी लाखों की भीड़ ने जब संयम खोया, तब वहां मौजूद प्रशासन और आयोजकों की लापरवाही उजागर हो गई। हादसा उस वक्त हुआ जब आरसीबी के खिलाड़ी और नेता जश्न मना रहे थे। स्टेडियम के बाहर लोग मरते रहे और अंदर आईपीएल कप का जश्न मनता रहा। यह सिर्फ एक भगदड़ नहीं थी, बल्कि प्रशासनिक विफलता की एक काली स्याही है। 11 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार, बीसीसीआई और आरसीबी ने जिम्मेदारी लेने से इन्कार किया है। हर कोई बस एक ही बात कह रहा है कि ‘हमारा रोल नहीं था’।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रेस कांफ्रेंस में पहले कहा कि हादसा दुखद है, इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, फिर खुद राजनीति करने लगे। कहा, मैं इस घटना का बचाव नहीं करूंगा… पर कई बार ऐसे हादसे हुए हैं, कुंभ मेले में भी भगदड़ हुई है। सीएम को ये बताना चाहिए था कि हादसा क्यों नहीं रोका जा सका? जिम्मेदार कौन है और उस पर क्या कार्रवाई की जा रही है? डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा, आरसीबी की जीत पर लोग बहुत भावुक थे। हम पुलिस से लाठी चलाने को कैसे कह सकते थे? ये बयान तब आया जब चश्मदीदों ने बताया कि लाखों की भीड़ एक ही गेट पर जमा थी, बैरिकेड्स टूट गए थे और पुलिस का नियंत्रण पूरी तरह खत्म हो चुका था।
बीसीसीआई बोला- हमारा इवेंट नहीं
बीसीसीआई की ओर से दिए गए बयान में कहा गया, ये स्थानीय आयोजन था। ट्रॉफी के साथ टीम पहुंची थी, लेकिन कार्यक्रम की सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा स्थानीय प्रशासन का था। हमारी कोई भूमिका नहीं थी।
आरसीबी के प्रवक्ता ने कहा, 18 साल के लंबे इंतजार के बाद ट्रॉफी आई थी। उत्साह तो होगा ही। हमने पुलिस और आयोजकों से निर्देश लेकर ही जुलूस का निर्णय लिया था। यानी यहां भी जिम्मेदारी किसी और पर डाल दी गई।
बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने बयान दिया कि जांच पूरी होने तक दोषारोपण से बचना चाहिए। यानी मौतों की जिम्मेदारी तय करने के बजाय, सभी ‘समझदारी’ की बात कर रहे हैं।