ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अब ईपीएफ अकाउंट से पूरा पैसा निकाला जा सकेगा। एम्पलॉई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (ईपीएफओ) ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) की मीटिंग में इसका एलान किया।
सेंट्रल लेबर मिनिस्टर मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में कई राहत भरे फैसले लिए गए। इन फैसलों से नौकरीपेशा लोगों को अपने ईपीएफ से पैसा निकालना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा। मनसुख मंडाविया ने X पर पोस्ट शेयर कर जानकारी दी।
मीटिंग में लिए गए बड़े फैसले
1. 100% निकासी की सुविधा
ईपीएफओ ने पुराने 13 कठिन नियमों को खत्म कर अब केवल तीन कैटेगरी में पार्शियल विड्रॉल के नियम बनाए हैं। जिसमें आवश्यक जरूरतें (बीमारी, शिक्षा, शादी), हाउसिंग जरूरतें (मकान से जुड़े खर्चे) और विशेष परिस्थितियां शामिल हैं। अब सदस्य अपने पीएफ खाते में मौजूद पूरी राशि (कर्मचारी और नियोक्ता दोनों हिस्सों समेत) निकाल सकेंगे।
पहले शिक्षा और शादी के लिए केवल 3 बार निकासी की अनुमति थी, लेकिन अब शिक्षा के लिए 10 बार और शादी के लिए 5 बार निकासी की जा सकती है। इसके अलावा, मिनिमम सर्विस पीरियड यानी न्यूनतम सेवा अवधि को भी घटाकर 12 महीने कर दिया गया है, जो पहले अलग-अलग जरूरतों के लिए अलग थी।
2. बिना कारण बताए निकासी
पहले विशेष परिस्थितियों (जैसे प्राकृतिक आपदा, बेरोजगारी, महामारी) में निकासी के लिए कारण बताना पड़ता था, जिसके चलते कई बार क्लेम खारिज हो जाते थे। अब इस झंझट से छुटकारा मिल गया है। सदस्यों को विशेष परिस्थितियों में बिना कोई कारण बताए निकासी की सुविधा मिलेगी।
3. 25% मिनिमम बैलेंस जरूरी
ईपीएफओ ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सदस्यों के खाते में हमेशा 25% राशि मिनिमम बैलेंस के तौर पर रहे। इससे सदस्यों को 8.25% की ब्याज दर और चक्रवृद्धि ब्याज यानी कंपाउंड इंटरेस्ट का फायदा मिलता रहेगा, जिससे रिटायरमेंट के लिए अच्छा-खासा फंड तैयार हो सकेगा।
4. ऑटो सेटलमेंट प्रोसेस आसान
नए नियमों के तहत कोई दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी। निकासी की प्रोसेस को पूरी तरह ऑटोमैटिक करने की तैयारी है, जिससे क्लेम्स का निपटारा तेजी से होगा। साथ ही समय से पहले फाइनल सेटलमेंट की अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने और पेंशन निकासी की अवधि को 2 महीने से 36 महीने कर दिया गया है। इससे सदस्य अपनी जरूरतों के लिए पैसा निकाल सकेंगे, वो भी अपने रिटायरमेंट फंड का यूज किए बिना।
5. विश्वास योजना: जुर्माने में राहत
ईपीएफओ ने पेंडिंग केसेस और जुर्माने को कम करने के लिए ‘विश्वास योजना’ शुरू की है। मई 2025 तक 2,406 करोड़ रुपए के जुर्माने और 6,000 से ज्यादा मुकदमे पेंडिंग हैं। इस योजना के तहत अब देरी से पीएफ जमा करने पर जुर्माने की दर को कम कर 1% प्रति माह कर दिया गया है। 2 महीने तक की देरी पर 0.25% और 4 महीने तक की देरी पर 0.50% का जुर्माना लगेगा। यह योजना 6 महीने तक चलेगी और जरूरत पड़ने पर इसे 6 महीने और बढ़ाया जा सकता है।
6. पेंशनर्स के लिए डिजिटल सुविधा
ईपीएफओ ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत ईपीएस 95 पेंशनर्स घर बैठे डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (डीएलसी) जमा कर सकेंगे। यह सुविधा मुफ्त होगी और ईपीएफओ इसका खर्च (50 रुपए प्रति सर्टिफिकेट) वहन करेगा। खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के पेंशनर्स को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
7. ईपीएफओ 3.0: डिजिटल रिवोल्यूशन
ईपीएफओ ने अपनी सर्विसेज को और आधुनिक बनाने के लिए ‘ईपीएफओ 3.0’ डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन फ्रेमवर्क को मंजूरी दी है। इसमें क्लाउड-बेस्ड टेक्नोलॉजी, मोबाइल एप और ऑटोमैटिक क्लेम सेटलमेंट जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। इससे 30 करोड़ से ज्यादा सदस्यों को तेज, पारदर्शी और आसान सेवाएं मिलेंगी।
8. फंड मैनेजमेंट में सुधार
बोर्ड ने ईपीएफओ के डेट पोर्टफोलियो के लिए चार फंड मैनेजर्स को 5 साल के लिए चुना है। यह कदम निवेश को सुरक्षित और विविध यानी डाइवर्स बनाकर सदस्यों के पीएफ फंड पर बेहतर रिटर्न सुनिश्चित करेगा।