ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वह मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण एवं (एसआईआर) की प्रक्रिया में अन्य राज्यों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा कि एसआईआर पूरी तरह से चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है और यह उसका विशेषाधिकार (प्रेरोगेटिव) है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की, ‘हम हर काम अपने हाथ में क्यों लें? चुनाव आयोग के पास अपना तंत्र है, उसे काम करने दिया जाए।’
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि वे क्यों चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट सारे काम अपने नियंत्रण में ले ले।
देश में बिना इजाजत रह रहे लोगों पर कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
कोर्ट ने यह भी कहा कि देश में कुछ लोग बिना अनुमति के रह रहे हैं, वे सामने आने से डरेंगे क्योंकि उनका नाम मतदाता सूची से हटने पर उनकी पहचान उजागर हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे कम से कम 100 ऐसे लोगों की सूची प्रस्तुत करें, जिनका दावा है कि उनके नाम मतदाता सूची से हटाए गए, लेकिन उन्हें कोई आदेश नहीं मिला, जिसके कारण वे अपील नहीं कर पा रहे। कोर्ट ने कहा, ‘हमें उन लोगों की एक इलस्ट्रेटिव लिस्ट चाहिए, जिन्हें यह शिकायत है।’
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया एक मौखिक सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मौखिक सुझाव दिया कि वह एक विस्तृत नोट तैयार करे, जिसमें 3.66 लाख हटाए गए नामों और बाद में जोड़े गए 21 लाख नामों का पूरा ब्योरा और उनके कारणों का उल्लेख हो।