आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। इंडियन एयरफोर्स, हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को पछाड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे ताकतवर वायुसेना बन चुकी है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए सेना एक जबरदस्त तैयारी में जुट चुकी है। दरअसल, आईएएफ ने अपने तकनीकी गैप को पाटने और सीधे छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के युग में प्रवेश करने के लिए हाई-लेवल ब्रेनस्टॉर्मिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पहल में डीआरडीओ, एचएएल और वायुसेना के विशेषज्ञ शामिल हैं, जिनका लक्ष्य एआई, हाइपरसोनिक हथियार और नेटवर्क-सेंटर्ड वॉर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को भारत के अगले लड़ाकू विमान कार्यक्रम में इंटीग्रेट करना है।
भारत वर्तमान में अपनी 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एएमसीए यानी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को विकसित करने में लगा हुआ है, लेकिन वायुसेना का मानना है कि केवल 5वीं पीढ़ी तक रुकना पर्याप्त नहीं होगा। दुनिया की बड़ी शक्तियां अमेरिका (एनजीएडी प्रोग्राम) और चीन पहले ही छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर काम शुरू कर चुकी हैं। इस दौड़ में पीछे न रहने के लिए, वायुसेना ने अब भविष्य की छठी पीढ़ी की जरूरतों पर काम करना शुरू कर दिया है। यह प्लानिंग सुनिश्चित करेगी कि 2040 के दशक तक, जब छठी पीढ़ी के विमानों की जरूरत होगी, तब भारत के पास एक पूरी तरह से स्वदेशी, आधुनिक और बेजोड़ हवाई बेड़ा मौजूद होगा।
आईएएफ की प्लानिंग
छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ विमानों से कहीं ज्यादा एडवांस बनाने वाली तकनीकें इस ब्रेनस्टॉर्मिंग का मुख्य केंद्र हैं।
छठी जनरेशन लड़ाकू विमान की खासियतें
यह विमान पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस होगा। एआई पायलट को तेजी से फैसला लेने में मदद करेगा और कुछ परिस्थितियों में विमान पूरी तरह से मानव रहित भी ऑपरेट हो सकता है।
इतना ही नहीं, छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स को हाइपरसोनिक मिसाइल ले जाने और लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया जाएगा जो मैक 5 से ज्यादा स्पीड से उड़ती है। साथ ही, यह विमान रडार, इन्फ्रारेड और विज़ुअल जैसे कई स्पेक्ट्रम से छिपने में सक्षम होगा। जैसा कि एएमसीए के लिए भी विकसित किया जा रहा है, लेकिन छठी जनरेशन में यह और ज्यादा एडवांस होगा। वहीं, विमान में जमीन और हवा में मौजूद अन्य सैन्य एसेट्स के साथ तेजी से और सुरक्षित रूप से बड़ी मात्रा में डेटा शेयर करने की अभूतपूर्व क्षमता होगी।
‘लीगेसी लैग्स’ को दूर करने पर फोकस
इंडियन एयरफोर्स अब एक साफ और टेक्निकल रोडमैप बनाना चाहती है, ताकि स्वदेशीकरण में देरी न हो। ऐसे में, डीआरडीओ और एचएएल के साथ-साथ, निजी रक्षा कंपनियों को भी शुरू से ही इस परियोजना में शामिल किया जाएगा, ताकि उत्पादन क्षमता और तकनीकी इनोवेशन को बढ़ाया जा सके।
वहीं, एएमसीए को 5वीं पीढ़ी की तकनीकों को विकसित करने के लिए एक टेस्ट बेड के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। एएमसीए से मिली सीख सीधे छठी पीढ़ी के कार्यक्रम में इस्तेमाल होगी।
इस शुरुआती ब्रेनस्टॉर्मिंग से भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान पूरी तरह से स्वदेशी हो, जिसमें क्रिटिकल इंजन और सेंसर तकनीक भी शामिल हों। आईएएफ का यह फैसला भारत को डिफेंस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित करेगा, जहां आने वाले वक्त में दुश्मन टकराने से पहले हजारों पर सोचेगा।































