ललित दुबे
वाशिंगटन। अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हाल ही में जारी किए गए एच-1बी वीजा से जुड़े आदेश को वापस लेने की अपील की है। सांसदों का कहना है कि वीजा आवेदन पर लगाए गए नए 1 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) फीस और अन्य प्रतिबंध अमेरिका की तकनीकी नेतृत्व क्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं और साथ ही भारत के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी को भी कमजोर करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका को सबसे ज्यादा नुकसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में होगा।
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा सदस्य जिमी पनेटा के साथ ही कांग्रेस सदस्यों अमी बेरा, सालुद कार्बोजल और जूली जॉनसन ने ट्रंप को पत्र लिखा। सांसदों ने एच1-बी वीज़ा कार्यक्रम को लेकर ट्रंप की ‘कुछ गैर-प्रवासी कामगारों के प्रवेश पर पाबंदी’ संबंधी घोषणा पर चिंता जतायी, जिसके तहत अन्य पाबंदियों के अलावा नये आवेदनों पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाया गया है। उन्होंने ट्रंप से आग्रह किया कि वे इस निर्णय पर अमेरिका-भारत संबंधों पर संभावित नकारात्मक प्रभावों के मद्देनजर पुनर्विचार करें।
उन्होंने कहा, ‘हाल ही में भारत गए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के रूप में, हम न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के लिए, बल्कि भारत के साथ हमारे संबंधों और हमारे द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले भारतीय-अमेरिकी समुदायों के लिए भी एच-1बी कार्यक्रम के महत्व को समझते हैं।’
सांसदों ने पत्र में कहा, ‘हम आपसे सम्मानपूर्वक अनुरोध करते हैं कि आप 19 सितंबर की घोषणा को स्थगित करें।’ सांसदों ने कहा कि एच-1बी कार्यक्रम विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) के क्षेत्रों में अमेरिका की प्रतिस्पर्धा की आधारशिला है। उन्होंने यह भी कहा कि एच-1बी पेशेवर अमेरिकी कामगारों को विस्थापित नहीं करते बल्कि नवाचार, पेटेंट उत्पादन और व्यापारिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत तकनीकों में ‘आक्रामक रूप से निवेश’ कर रहा है, अमेरिका को अपने ‘नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने, रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने और अपनी दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बनाए रखने’ के लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘भारत के मामले में, जो पिछले साल 71 प्रतिशत एच-1बी धारकों का मूल देश था, इस प्रतिभा को आकर्षित करने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख लोकतांत्रिक साझेदार के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी भी मजबूत होती है।’































