ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। पिछले सप्ताह ही भारत ने अपनी नई न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएएस अरिघात को लॉन्च किया था। इसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में नौसेना में शामिल किया गया था। इसके लॉन्च के साथ ही यह बता दिया गया था कि यह पिछली सबमरीन आईएनएस अरिंहत से ज्यादा काबिल होगी। अब इसमें लंबी दूरी की मिसाइलें और हाई क्वालिटी के स्वदेशी सामान भी जोड़े गए हैं, जिसके बाद यह वाकई अरिहंत से अधिक सक्षम हो गई है। आईएनएस अरिघाट को मिसाइलों से लैस किया गया है जो 3500 किमी दूरी पर लक्ष्य मार सकती हैं, वहीं आईएनएस अरिहंत 750 किमी की दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है।
तीसरी पनडुब्बी की भी तैयारी
आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात के बाद भारत अगले साल के शुरुआत में तीसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी को कमीशन करने की तैयारी में है। पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिघात’ को 29 अगस्त, 2024 को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।रक्षा मंत्री ने कहा था, परमाणु-संचालित पनडुब्बी देश के लिए गौरव का विषय है, जबकि इसे ‘आत्मनिर्भरता’ पहल के अनुरूप देश की उपलब्धि के रूप में वर्णित किया गया है।
अरिघात को बनाने में लगी है कड़ी मेहनत
आईएनएस अरिघात बनाने में कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें नये नक्शे बनाने और बनाने के तरीके, गहन शोध और विकास, खास मैटेरियल का इस्तेमाल, मुश्किल इंजीनियरिंग और बेहद कुशल कारीगरों का काम शामिल है। इसकी खास बात ये है कि इसमें इस्तेमाल होने वाले सिस्टम और उपकरण भारत के ही वैज्ञानिकों, उद्योगों और नौसेना के जवानों द्वारा सोचे गए, बनाए गए, तैयार किए गए और जोड़े गए हैं। अपने पूर्ववर्ती, अरिहंत की तुलना में स्वदेशी रूप से की गईं टेक्नोलॉजी की तरक्क ी इसे काफी ज्यादा बेहतर बनाती है। आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात, दोनों की मौजूदगी भारत की क्षमता को दुश्मनों को रोकने और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में काफी कारगर होगी।