ब्लिट्ज ब्यूरो
हनोई। चीन के लिए दक्षिण चीन सागर नाक का सवाल है। भारत चीन के उसी संवेदनशील हिस्से पर प्रहार कर रहा है। भारत, दक्षिण चीन सागर में चीन के खिलाफ उसी स्ट्रैटजी पर काम कर रहा है, जैसा वो हिंद महासागर में भारत के साथ करने की कोशिश कर रहा है। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्षिण चीन सागर पर दावा करने वाले एक और देश वियतनाम के साथ भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की बिक्री के लिए डील करीब-करीब पूरी कर ली है। इस सौदे को बस अंतिम रुप दिया जाना बाकी है। वियतनाम से पहले दक्षिण चीन सागर के किनारे पर बसे एक और देश फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल खरीदा था। इस मिसाइल से चीन इसलिए डरता है, क्योंकि चीन के पास अभी ऐसे एयर डिफेंस सिस्टम नहीं हैं जो ब्रह्मोस को ट्रैक करके उसे रोक सकें।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत और वियतनाम के बीच ब्रह्मोस सौदे को लेकर बातचीत अंतिम चरण में पहुंच गई है। आने वाले महीने में इस पर आखिरी मुहर लगने की संभावना है। दोनों देशों के बीच 700 मिलियन डॉलर का सौदा होने वाला है। भारतीय ब्रह्मोस को वियतनाम दक्षिण चीन सागर में तैनात करेगा, जहां उसे चीन से लगातार खतरा मिलता रहता है।
रिपोर्ट के मुताबिक वियतनाम भारत से ब्रह्मोस कोस्टल बैटरी सिस्टम खरीदने के लिए सौदा कर रहा है। ये वही सिस्टम है, जिसे फिलीपींस ने भारत से खरीदा है। ये खासकर समुद्री हमलों के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर है और इसे समुद्री सीमाओं के भीतर दुश्मनों पर सुपरसोनिक स्पीड से हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। भारत ने खासकर चीन को ध्यान में रखकर ही इसे डिजाइन किया है।
ब्रह्मोस, वियतनाम को चीन से अपनी समुद्री सीमाओं को सुरक्षित रखने में सक्षम बनाएगा। 300 किलोमीटर के दायरे में आने वाले किसी भी चीनी युद्धपोत के लिए ये मिसाइल काल बन सकती है। फिलीपींस के बाद वियतनाम, ब्रह्मोस मिसाइल को अपने नौसैनिक शस्त्रागार में शामिल करने वाला दूसरा देश बन जाएगा। इसके अलावा इंडोनेशिया भी भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है।
– भारत और वियतनाम में डील आखिरी चरण में
– दक्षिण चीन सागर में चीन के खिलाफ ‘ब्रह्मोस’ स्ट्रैटजी