डा. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने खुद के अंतरिक्ष स्टेशन को कक्षा में लॉन्च करने के लिए तैयार हो रहा है। यह भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं में एक साहसिक छलांग है। यह बात इसरो चेयरमैन वी नारायणन ने पिछले दिनों समाज सुधारक राममोहन राय की 253वीं जयंती पर राम मोहन मिशन के एक कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-4 को अगले ढाई साल में लॉन्च किया जाएगा।
इसरो प्रमुख ने कहा कि वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव हैं। उनका विभाग देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि उदाहरण के लिए हमारे देश को ही लें, हमारे पास 11,500 किलोमीटर की तटरेखा है, और फिर उत्तरी सीमा है। हमारे पास निगरानी के लिए एक विशाल सीमा है और सरकार सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगन से काम कर रही है। इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति और प्रणालियां मौजूद हैं। नारायणन ने कहा कि फिलहाल, हमारे पास कक्षा में 57 उपग्रह हैं। ये मौसम के पूर्वानुमान से लेकर सबसे दूरदराज के क्षेत्रों में टेली-शिक्षा तक कई मुद्दों पर वास्तविक समय के अपडेट और डाटा देकर जनता की सेवा कर रहे हैं।
अंतरिक्ष स्टेशन का वजन होगा 50 टन से अधिक
अंतरिक्ष स्टेशन को लेकर नारायण ने कहा कि इसका वजन 50 टन से अधिक होगा। पीएसएलवी- सी61/ईओएस-09 मिशन की हालिया नाकामी को नारायणन ने इसरो के ट्रैक रिकॉर्ड में एक अपवाद बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह नाकामी किसी भी तरह से इसरो के गगनयान जैसे भविष्य के कार्यक्रमों को पटरी से नहीं उतार सकती क्योंकि यह कार्यक्रम भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।
ंतरिक्ष वैज्ञानिक ने कहा कि इसरो देश की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान, जिसे गगनयान कहा जाता है, की तैयारी कर रहा है। नारायणन ने कहा कि गगनयान का पहला मिशन एक मानव रहित परीक्षण उड़ान होगी, जिसे आने वाले दिनों में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इसके बाद चालक दल के साथ दो मिशन होंगे, जिन्हें निकट भविष्य में इसरो के लॉन्च किए जाने की उम्मीद है। इसरो चेयरमैन वी नारायणन ने बताया, अभी हम (इसरो) चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 पर भी काम कर रहे हैं। जापान के सहयोग से चंद्रयान-5 में 6,400 किलोग्राम का लैंडर होगा जो 350 किलोग्राम का रोवर ले जाएगा। इसका जीवनकाल 100 दिन होगा। चंद्रयान-3 लैंडर का वजन 1,600 किलोग्राम था और इसमें 25 किलोग्राम का रोवर था। चंद्रयान-4, चांद की सतह से नमूने वापस लाने के लिए अगले ढाई साल में लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों में भारत आगे बढ़ा है और अब अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण में शीर्ष देशों में शामिल है। नारायणन ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महिला अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के योगदान के बारे में भी बताया।

सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का तीसरा हॉट टेस्ट सफल
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (पीएचटीए) का तीसरा हॉट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया। तमिलनाडु के महेंद्रगिरि के इसरो प्रोपल्शन कांप्लैक्स (आइपीआरसी) में यह सफल परीक्षण किया गया। इसरो सेमी-क्रायोजेनिक इंजन विकसित कर रहा है जिसका उद्देश्य राकेट की पेलोड क्षमता बढ़ाना है। इसरो के अनुसार इसरो के राकेट में सेमीक्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए ये परीक्षण किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि इसरो सेमी-क्रायोजेनिक इंजन विकसित कर रहा है। इसका उद्देश्य राकेट की पेलोड क्षमता बढ़ाना और भविष्य के प्रक्षेपण यानों को अधिक थ्रस्ट या ताकत देना है।
इसरो ने बताया कि 28 मई को किए गए तीन सेकंड के परीक्षण के दौरान इंजन को सफलतापूर्वक स्टार्ट किया गया। परीक्षण के नतीजे अपेक्षा के अनुरूप रहे। यह अपनी रेटेड पावर स्तर के 60 प्रतिशत तक संचालित हुआ। गौरतलब है कि इसरो ने 28 मार्च को पहला सफल हाट टेस्ट किया था। दूसरा परीक्षण 24 अप्रैल को किया गया था।



























