ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। जलवायु और पर्यावरण विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यू) ने अपने एक नए अध्ययन में बताया है कि वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने विश्व के बड़े प्रदूषकों से आग्रह किया है कि जलवायु परिवर्तन की रफ़्तार को थामने के लिए कथनी की बजाय करनी पर ध्यान देना होगा।
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी की यह चेतावनी, संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से ठीक पहले जारी की गई है। यह सम्मेलन (कॉप29) इस वर्ष अज़रबैजान की राजधानी बाकू में आयोजित हो रहा है।
यूएन के शीर्षतम अधिकारी एंतोनियो गुटेरेस ने जलवायु संकट की गम्भीरता के प्रति बार-बार ध्यान आकृष्ट किया है और मानवता के अस्तित्व पर मंडराते इस ख़तरे को नज़रअन्दाज करने की क़ीमत के प्रति सचेत किया है। यूएन एजेंसी की उप महासचिव को बैरेट ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ) जिस रफ़्तार से वातावरण में जमा हो रही है, वैसा मानव इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया।
कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड, जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैस हैं।
उन्होंने कहा कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड लम्बे समय तक बनी रह सकती है और इसलिए तापमान में वृद्धि आगामी कई वर्षों तक जारी रहने की सम्भावना है।
डब्ल्यूएमओ की ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन दर्शाती है कि सीओ2 के बढ़ते स्तर की गति को धीमा करने की आवश्यकता है। 2004 में वातावरण में कार्बन डाइ ऑक्साइड की सघनता 3771. पार्ट्स प्रति मिलियन थी, जोकि 2023 में बढ़कर 420 पार्ट्स प्रति मिलियन पहुंच गई है। यह पिछले दो दशकों में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि है।
डब्ल्यूएमओ की वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये केवल आंकड़ों तक ही सीमित नहीं है। हर पार्ट प्रति मिलियन की वृद्धि मायने रखती है, तापमान वृद्धि का हर अंश की अहमियत है. हिमनद व जमे हुए पानी की चादर पिघलने की गति के नज़रिये से यह अहम है।
इससे समुद्री जलस्तर में वृद्धि, महासागर का तापमान व अम्लीकरण, और प्रजातियों, पारिस्थितिकी तंत्रों पर असर निर्धारित होता है, और यह भी कि किसी साल में कितनी संख्या में लोग अत्यधिक गर्मी का सामना करना करेंगे।
यूएन एजेंसी के अनुसार, वनों में आग लगने की घटनाओं का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि का बड़ा योगदान रहा है। साथ ही, अल नीनो जलवायु प्रभाव के कारण शुष्क परिस्थितियां उपजी और 2023 के उत्तरार्ध में गैस की सघनता में बढ़ोत्तरी हुई है।
अध्ययन दर्शाता है कि कार्बन डाइऑक्साइड की कुल उत्सर्जित मात्रा में से क़रीब 50 फ़ीसदी ही वातावरण में मौजूद रहती है. 25 फ़ीसदी से अधिक महासागर द्वारा अवशोषित कर ली जाती है और 30 प्रतिशत भूमि में रहती है।
डब्ल्यूएमओ अधिकारी का कहना है कि जबतक उत्सर्जन जारी रहेंगे तब तक ग्रीनहाउस गैस वातावरण में जमा होती रहेंगी, जिससे वैश्विक तपामान में बढ़ोतरी होगी। इसलिए, उन्होंने विश्व नेताओं से आग्रह किया है कि भावी पीढ़ियों को बचाने के लिए अर्थव्यवस्था में जीवाश्म ईंन्धन के इस्तेमाल को कम करने की दिशा में बढ़ना होगा।