ललित दुबे
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान एफ-47 एनजीएडी बनाने की घोषणा कर दी है। भारत ने भी छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के संकेत दिए हैं। अमेरिकी सरकार ने 20 अरब डॉलर का शुरूआती बजट लड़ाकू विमानों का निर्माण करने वाली कंपनी बोइंग को दिया है। इस बजट में इस फाइटर जेट के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट का काम होगा, जिसके तहत इंजन का निर्माण किया जाएगा, नये कम्युनिकेशन सिस्टम, रडार सिस्टम, एवियोनोमिक्स समेत कई तरह के डेवलपमेंट्स और किए जाएंगे। यानि अमेरिका दुनिया का पहला ऐसा देश बन सकता है, जिसके पास अपना छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान होगा।
हालांकि चीन भी जे-36 छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के प्रोटोटाइप का खुलासा कर चुका है। दावे किए गये हैं कि जे-36 छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान होगा।
दूसरी तरफ इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग यानि आईडीआरडब्ल्यू ने अपनी एक रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा है कि भारत की भी योजना छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण की है। अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर खुलासा किया है कि छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण की योजना भारत के रणनीतिक बदलाव को दर्शाती है। हालांकि एयरफोर्स के अधिकारी ने ये भी बताया कि इस तरह के एडवांस विमान बनाने की किसी भी योजना के लिए नए सिरे से डिजाइन की आवश्यकता होगी और फिलहाल भारत की क्षमताओं के हिसाब से एक बहुत बड़ी छलांग होगी।
– ट्रायल फेज में पहुंचा एएमसीए जेट प्रोग्राम
-अमेरिका के एफ-47 एनजीएडी की तरह होगा ताकतवर
आपको बता दें कि भारत फिलहाल एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जिसके तहत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाए जा रहे हैं। इसका डेवलपमेंट एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) कर रहा है। आईडीआरडब्ल्यू की रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना के अधिकारी ने सुझाव दिया है कि एएमसीए प्रोजेक्ट के तहत भारत का लक्ष्य साल 2028 तक पहले विमान का फ्लाइट टेस्ट करना है। और ये वक्त इंडियन एयरफोर्स और एडीए के लिए छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण के लिए कंसेप्ट बनाने के लिए बिल्कुल सही समय होगा। अधिकारी ने बताया है कि एक बार एएमसीए उड़ान भरना शुरू कर दे तो फिर इंडियन एयरफोर्स और एडीए छठी पीढ़ी के लड़ाकू जेट के डेवलपमेंट पर विचार-विमर्श शुरू कर सकता है। अधिकारी का मानना है कि पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण के बाद भारत के पास जो एक्सपीरिएंस होगा, वो अमूल्य होगा और ये ज्ञान छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण में काफी काम आएंगे।
एसयू-30एमकेआई लड़ाकू
विमान का भविष्य क्या होगा?
आपको बता दें कि एसयू-30एमकेआई लड़ाकू विमान फिलहाल भारतीय वायुसेना के बेड़े की रीढ़ है। इस विमान के भविष्य के बारे में बात करते हुए वायुसेना के अधिकारी ने कहा है कि इन जेट विमानों की ऑपरेशनल लाइफ को 2060 से भी आगे ले जाने की योजना है। हालांकि उस वक्त तक एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की संख्या काफी कम हो जाएगी।
आईडीआरडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस दौरान एक बार फिर से भारतीय वायुसेना के अधिकारी के साथ बातचीत छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की तरफ मुड़ गई। जिसमें अधिकारी ने साफ किया है कि नया फाइटर जेट सिर्फ एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान की जगह नहीं लेगा, बल्कि ये फाइटर जेट नेक्स्ट जेनरेशन के प्रतिनिधि होंगे।
हालांकि वायुसेना के अधिकारी ने इस बात को स्वीकार किया है कि “किसी भी 6वीं पीढ़ी का प्रस्ताव मौजूदा एएमसीए के मुकाबले काफी भारी प्रोजेक्ट होगा।” एएमसीए का मैक्सिमम टेक-ऑफ वजन (एमटीओडब्ल्यू) 27 टन है। आकार और वजन में यह इजाफा शायद ज्यादा एडवांस सिस्टम, हथियारों और संभावित रूप से नई प्रणोदन टेक्नोलॉजी को शामिल करने के बाद होगा।






























