ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दुर्लभ खनिज चुंबकों (रेयर अर्थ मैग्नेट) का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए 7280 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दे दी। यह पहली ऐसी योजना है, जिसके तहत अगले सात वर्षों में दुर्लभ खनिज तत्वों की खोज और विनिर्माण पर काम किया जाएगा। साथ ही चीन पर निर्भरता पूरी तरह खत्म की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में इसे स्वीकृति दी गई। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि योजना का मकसद आयात पर निर्भरता कम करना और उच्च तकनीक में भारत की क्षमताओं को बढ़ाना है। प्रोत्साहन योजना के जरिए भारत में छह हजार मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) इंटीग्रेटेड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (आरईपीएम) मैन्युफैक्चरिंग स्थापित की जाएगी।
दुर्लभ स्थायी चुंबक काफी अहम हैं। इनका उपयोग ई-वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, रक्षा, एयरोस्पेस के अलावा मेडिकल उपकरणों समेत कई क्षेत्रों में होता है। भारत में लगातार इनकी मांग बढ़ती जा रही है।
भारत में कई जगह मौजूद
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत में ओडिशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गोवा और गुजरात के समुद्रीय तट क्षेत्र दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुंबकों का भंडार है। गुजरात और महाराष्ट्र के पहाड़ी इलाकों में भी इसकी मौजूदगी है। मंत्री ने बताया कि इन स्थायी चुंबकों को हल्के और भारी दुर्लभ खनिजों को मिलाकर बनाया जाएगा। इसमें ऑस्ट्रेलिया और जापान से तकनीकी मदद ली जाएगी।
बाजार पर चीन का कब्जा
चीन का वैश्विक दुर्लभ चुंबकों की आपूर्ति व्यवस्था पर बड़ा कब्जा है। दुनिया की जरूरत का करीब 80-90 फीसदी तक अकेले चीन आपूर्ति करता है लेकिन इस वर्ष की शुरुआत में वैश्विक बाजार में कड़े प्रतिबंधों के बीच चीन ने लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सख्त किया है, जिससे इनकी आपूर्ति प्रभावित हुई है।
इन खनिजों पर निर्भरता
1 दुर्लभ खनिज चुंबकः इन्हें बनाने के लिए नियोडिमियम, प्रैसियोडिमियम जैसे खनिज तत्वों को संसाधित किया जाता है। इनका उपयोग ई-वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य तकनीकी उपकरणों में होता है।
भारत खनिज तत्वों के शुद्ध रूप का आयात करता है, जिनका प्रयोग विभिन्न उद्योगों में होता है।
ऐतिहासिक शुरुआत
कैबिनेट ने तीन बड़े फैसलों पर मुहर लगाई। दुर्लभ जीजी खनिज चुंबक के उत्पादन के लिए भारत का पहला इंटीग्रेटेड इकोसिस्टम बनाने की योजना को मंजूरी दी है। यह भारत की हाईटेक मैन्युफैक्चरिंग के लिए ऐतिहासिक शुरुआत है।
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
इन क्षेत्रों में इस्तेमाल
ट्रांसपोर्ट 11%
ऊर्जा उत्पादन, भंडारण 07%
ऊर्जा यंत्र 06%
ड्राइव, क्लच, ब्रेक 06%
सेंसर, स्विच 04%
एचडीडी, सीडी, डीवीडी 14%
घरेलू उपकरण 03%
मोटर और जेनरेटर 34% 1.
तरंगों वाले यंत्र 03%
अन्य 12%































