ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। इंडियन नेवी ने भविष्य की जरूरतें पूरी करने के लिए नेक्स्ट जनरेशन डेस्ट्रॉयर की जरूरत बताई है। सूत्रों के मुताबिक, नेवी ने जब बजट प्रोजेक्शन दिया, उसमें भी चार नेक्स्ट जनरेशन डेस्ट्रॉयर की जरूरत बताते हुए उसका खर्चा भी जोड़ा। अभी अमेरिका और चीन के पास ही इस तरह के डेस्ट्रॉयर हैं। नेवी के पास जो मौजूदा डेस्ट्रॉयर हैं, ये उससे दोगुनी क्षमता के होंगे। डेस्ट्रॉयर भी फ्रिगेट की तरह ही वॉरशिप है।
फ्रिगेट साइज में कुछ छोटा होता है और इसके मुकाबले डेस्ट्रॉयर करीब डेढ़ गुना बढ़ा होता है। फ्रिगेट किसी एक तरह के रोल के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त होता है और बाकी रोल में इसका इस्तेमाल रक्षात्मक भूमिका में करते हैं जबकि डेस्ट्रॉयर में एक साथ कई रोल निभाने की क्षमता है। इसे एंटी सबमरीन, एंटी शिप या फिर एंटी एयरक्राफ्ट के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं और यह सभी में उतना ही सटीकता से अपना रोल निभाता है।
इंडियन नेवी में 15 जनवरी को एक साथ तीन वॉरशिप शामिल किए गए। इसमें प्रोजेक्ट पी17ए का फ्रिगेट नीलगिरी, प्रोजेक्ट पी15बी का डेस्ट्रॉयर सूरत भी शामिल था।































