सिंधु झा
भारत ने चीन के साथ लगी अपनी पूर्वी सीमा पर सुरक्षा को चाक चौबंद करने के लिए एक ठोस रणनीतिक कदम उठाया है। भारत ने इजरायल के साथ मिलकर मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (एमआर-एसएएम) को काफी तेजी से तैनात किया है। रक्षा क्षमताओं में यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी ) ख़ास तौर पर लद्दाख, सिक्कि म और अरुणाचल प्रदेश के संवेदनशील क्षेत्रों में तनाव बहुत ज़्यादा है। दरअसल इतिहास से सबक लेते हुए भारत अपनी रक्षा तैयारी में ढील देने के कतई पक्ष में नहीं है।
हाल ही में सीमा पर हुई झड़पों का केंद्र बिंदु रहा लद्दाख पहले से ही एमआर-एसएएम और स्वदेशी रूप से विकसित आकाश मिसाइल प्रणालियों, दोनों की सुरक्षा के अंतर्गत है। एमआर-एसएएम, जिसे भारत में ‘अभ्रा’ के रूप में जाना जाता है, लड़ाकू जेट, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों सहित विभिन्न हवाई खतरों के खिलाफ हवाई रक्षा प्रदान करने में सहायक रहा है। लद्दाख में इन प्रणालियों की मौजूदगी हवाई-आधारित खतरों से अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए भारत की तैयारियों का स्पष्ट संदेश देती है।
भारतीय सेना का ध्यान
भारतीय सेना ने अब सिक्कि म और अरुणाचल क्षेत्रों में हवाई रक्षा को बढ़ाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया है। ये क्षेत्र चीनी सीमा से निकटता और चुनौतीपूर्ण भूभाग के कारण महत्वपूर्ण हैं, जिसके लिए मजबूत रक्षात्मक उपायों की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों में एमआर-एसएएम की तैनाती का उद्देश्य एक सुदृढ़ रक्षा नेटवर्क बनाना है जो संभावित हवाई घुसपैठ का सटीकता और प्रभावशीलता के साथ मुकाबला करने में सक्षम हो।
रणनीतिक तैनाती
एमआर-एसएएम इकाइयों को प्रमुख बुनियादी ढांचे और सैन्य प्रतिष्ठानों को कवर करने के लिए रणनीतिक रूप से तैनात किया जा रहा है। सूक्ष्म तैनाती रणनीति सिक्कि म की अनूठी भौगोलिक चुनौतियों को ध्यान में रखती है, जिससे व्यापक हवाई रक्षा कवरेज सुनिश्चित होता है। अपने विशाल और ऊबड़-खाबड़ भूभाग के कारण अरुणाचल प्रदेश में मिसाइल प्रणालियों की व्यापक लेकिन प्रभावी तैनाती की जरूरत महसूस की गई है। अलग-अलग ऊंचाई और दूरी पर खतरों से निपटने की एमआर-एसएएम की क्षमता इस क्षेत्र में विशेष रूप से फायदेमंद है, जहां का इलाका घने जंगलों से लेकर ऊंचे पहाड़ी दर्रों तक हो सकता है।
भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) के बीच साझेदारी में विकसित एमआर-एसएएम प्रणाली उन्नत क्षमताएं प्रदान करती है। 70 किलोमीटर तक की परिचालन सीमा के साथ, यह हवाई खतरों की एक श्रृंखला का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है।
पूर्वी सीमा पर सैन्य प्रदर्शन
पूर्वी सीमा पर एमआर-एसएएम की बढ़ी हुई तैनाती न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि संभावित आक्रमण को रोकने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक रणनीतिक कदम है। यह ताकत के माध्यम से शांति की नीति का पालन करते हुए एक मजबूत रक्षात्मक स्थिति बनाए रखने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह कदम क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बदल सकता है, जिससे पड़ोसी देशों द्वार सुरक्षा रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन किया जा सकता है।































