ब्लिट्ज ब्यूरो
मॉस्को। रूस ने पुष्टि कर दी है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर आ रहे हैं। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि व्लादिमीर पुतिन की भारत आने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद राष्ट्रपति पुतिन पहली बार भारत का दौरा करेंगे। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की । उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन ने यात्रा के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। उनकी भारत गणराज्य की यात्रा की वर्तमान में तैयारी की जा रही है। इस दौरान उन्होंने कहा कि रूस, भारत जैसी प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, जिनके साथ रूस की विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी है।
रूसी मीडिया में भी विदेश मंत्री लावरोव के हवाले से कहा गया है कि भारत के साथ हमारी विशेष रूप से विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी है। इस दौरान लावरोव ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल तीसरी बार फिर से चुने जाने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के रूप में रूस गए थे। उन्होंने आगे कहा कि अब हमारी बारी है।
भारत और रूस के बीच मजबूत द्विपक्षीय साझेदारी
भारत और रूस के बीच दशकों से मजबूत रणनीतिक साझेदारी है और दोनों देशों का रिश्ता विश्वास की बुनियाद पर बना हुआ है। रूस हमेशा से भारत का आजमाया हुआ साथी है, जिसने कई मौकों पर भारत की जबरदस्त तरीके से मदद की है। 1971 की जंग में जब अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद के लिए अपने एयरक्राफ्ट कैरियर को बंगाल की खाड़ी में भेज दिया था, उस वक्त रूस ने भी भारत की मदद के लिए अपने एयरक्राफ्ट कैरियर को भेज दिया था। अगर रूस उस वक्त भारत की मदद नहीं करता तो युद्ध को अमेरिका बुरी तरह से प्रभावित कर सकता था। रूस के इस अहसान का बदला भारत ने यूक्रेन युद्ध में चुकाया है, जब पश्चिमी देशों के भारी एतराज के बावजूद भारत ने बगैर किसी हिचकिचाहट रूसी तेल खरीदा। आज की तारीख में भारत सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से ही खरीदता है।
भारत और रूस के बीच की साझेदारी
डिफेंस सेक्टर से लेकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, स्पेस सेक्टर और एनर्जी सेक्टर तक फैला हुआ है। भारत और रूस के बीच न्यूक्लियर साझेदारी भी है।
इसके अलावा, दोनों देश बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था की वकालत करते हैं। और यूनाइटेड नेशंस के मंच पर भी दोनों देश एक दूसरे का साथ देते हैं। रूस ने हमेशा से यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल में भारत को स्थायी सदस्य बनाने को अपना समर्थन दिया है। बदलती वैश्विक गतिशीलता के बावजूद आज की तारीख में भारत-रूस संबंध मजबूत बने हुए हैं, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और आपसी चुनौतियों का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।