ब्लिट्ज ब्यूरो
जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार को लंबित पड़े पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव एक साथ कराने का निर्देश देते हुए इसके लिए अगले साल 15 अप्रैल तक की समयसीमा भी दे दी है। हाई कोर्ट ने अदालत में पेश अधिकारियों से 15 अप्रैल, 2026 तक प्रक्रिया पूरी करने और दोनों निकायों के परिसीमन की प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी करने को कहा है। अदालत के आदेश के बाद राज्य में 11,000 से ज्यादा ग्राम पंचायतों और 309 शहरी स्थानीय निकायों में चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है।
हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसपी शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने यह निर्देश दिए, इसके साथ ही उन्होंने पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन को चुनौती देने वाल कई याचिकाओं के साथ-साथ प्रशासक के रूप में फिर से नियुक्त किए गए प्रधानों और सरपंचों को हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। कार्यवाही के दौरान पीठ ने कहा कि परिसीमन प्रक्रिया को ‘फिर से चुनौती नहीं दी जा सकती।’
इस बारे में पूर्व विधायक संयम लोढ़ा और 438 अन्य द्वारा दायर याचिकाओं में तर्क दिया गया था कि चुनाव स्थगित करना संविधान के अनुच्छेद 243 (ई) और 243 (के) तथा राजस्थान पंचायत राज अधिनियम, 1994 की धारा 17 का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ताओं के वकील पीसी देवंदा ने कहा, ‘इस तरह चुनाव स्थगित करने से 6,700 से अधिक पंचायतों में लोकतांत्रिक कामकाज बाधित हुआ है।’ साथ ही उन्होंने तर्क दिया कि निवर्तमान सरपंचों को प्रशासक नियुक्त नहीं किया जा सकता। उधर महाधिवक्ता द्वारा चुनाव की तारीखें न बता पाने और बोर्ड परीक्षाओं के साथ ओवरलैप होने वाली पूर्व समय-सीमा में संशोधन करने के बाद, अदालत ने समय-सीमा तय कर दी।
उच्च न्यायालय के आदेश के साथ, राज्य सरकार को अब 11,000 से अधिक ग्राम पंचायतों और 309 शहरी स्थानीय निकायों में चुनाव कराने होंगे।































