ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग फर्जी मतदाता के आरोपों की समस्या को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। भविष्य में पंजीकृत होने वाले नए मतदाताओं और डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबर वाले मौजूदा मतदाताओं को यूनीक राष्ट्रीय ईपीआईसी नंबर दिया जाएगा।
हाल में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी ने राज्य में फर्जी मतदाता पंजीकृत करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि एक ही ईपीआईसी ((मतदाता फोटो पहचान पत्र) नंबर पर कई मतदाता पंजीकृत हैं। निर्वाचन आयोग ने इस विवाद पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि अगले तीन महीनों में डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबरों की दशकों पुरानी समस्या का समाधान किया जाएगा। आयोग ने कहा कि एक ईपीआईसी नंबर के बावजूद, एक मतदाता जो किसी विशेष मतदान केंद्र की मतदाता सूची से जुड़ा हुआ है, वह केवल उसी मतदान केंद्र पर अपना वोट डाल सकता है। इसके अतिरिक्त किसी अन्य केंद्रों पर वह मतदान नहीं कर सकता है। आयोग ने कहा कि 100 मतदाताओं की नमूना जांच से पता चलता है कि डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबर वाले मतदाता वास्तविक हैं और वे फर्जी नहीं हैं।
– दशकों पुरानी है डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर की समस्या
– अगले 3 माह में होगा स्थायी समाधान
आयोग ने कहा है कि दरअसल, वर्ष 2000 में राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को ईपीआईसी श्रृंखला के आवंटन के बाद से कुछ निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों ने सही श्रृंखला का उपयोग नहीं किया। राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में गलत श्रृंखला के कारण डुप्लिकेट नंबरों के आवंटन का मुद्दा पता नहीं चल सका क्योंकि राज्य/संघ शासित प्रदेश स्वतंत्र रूप से मतदाता सूची डेटाबेस का प्रबंधन कर रहे थे। निर्वाचन आयोग ने अगले तीन माह में लंबे समय से चली आ रही इस समस्या का हल करने का फैसला किया है।