ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। इजरायल और हमास युद्ध के चलते इजरायल में सैकड़ों की संख्या में इमारतें तबाह हो गईं हैं। सड़कें टूटी हैं और बड़े-बड़े भवन क्षतिग्रस्त हैं। इन इमारतों को पुनः बनाने के लिए इजरायल ने उत्तर प्रदेश से कुशल मजदूरों को बुलाया था। इन मजदूरों ने इजरायल में काम करके पिछले साल 1,400 करोड़ रुपये अपने घर भेजे थे।
ये मजदूर वहां बढ़ई, राजमिस्त्री और फ्रंट ऑफिस मैनेजर जैसे काम करते हैं। श्रम और रोजगार विभाग के अनुसार अभी लगभग 6,000 मजदूर इजरायल में काम कर रहे हैं। श्रम और रोजगार विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. एमकेएस सुंदरम के अनुसार यह डेटा एनएसडीसी से मिला है और उनकी टीम ने इसकी जांच-परख की है। ये मजदूर इजरायल में कंस्ट्रक्शन, मॉल मैनेजमेंट और तकनीकी काम कर रहे हैं। 2023 के अंत में भेजे गए ये मजदूर हर महीने 1.5 लाख रुपये से ज्यादा कमा रहे हैं। वे ओवरटाइम करके और भी ज्यादा पैसे कमाते हैं, इसलिए वे हर महीने औसतन 1.5 से 2 लाख रुपये घर भेज पाते हैं। 3,000 और मजदूरों के लिए प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और वे जल्द ही जाने वाले हैं। प्रदेश के मजदूरों की मांग बहुत ज्यादा है। वे अपने मालिकों के बुलाने का इंतजार कर रहे हैं।
जर्मनी को नर्स तो क्रोएशिया
में यूपी के प्लंबरों की डिमांड
सुंदरम ने बताया कि इजरायल के अतिरिक्त दूसरे देशों में भी प्रदेश के मजदूरों की डिमांड है। जर्मनी को नर्सों की जरूरत है तो जापान को केयरगिवर्स की। क्रोएशिया ने इलेक्ट्रीशियन और प्लंबर की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग को देश में भी मजदूरों की मांग मिल रही है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि चेन्नई के कुछ ठेकेदारों ने गन्ना काटने में माहिर 1,000 कृषि मजदूरों की मांग की है।
बनेगा उप्र रोजगार मिशन
प्रमुख सचिव ने बताया कि योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन बनाने का फैसला किया है। इससे राज्य के युवाओं को भारत और विदेशों में नौकरी ढूंढ़ने में मदद मिलेगी। मिशन का लक्ष्य राज्य के एक लाख से ज्यादा मजदूरों को देश और विदेश के बाजारों में नौकरी दिलाना है।
सरकार ने इसके लिए 200 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। हम सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत एक समर्पित सोसाइटी बना रहे हैं। पहली बार सरकार विदेशी नौकरी प्लेसमेंट के लिए अपने खुद के भर्ती लाइसेंस के साथ काम करेगी।































