ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट में फिर कटौती की है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट में तत्काल प्रभाव से 0.25 फीसदी की कटौती का फैसला सर्वसम्मति से लिया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्यों ने नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंकों से घटाकर 6% करने के लिए मतदान किया।’ इस दौरान गवर्नर ने वैश्विक विकास के लिए नई चुनौतियों की ओर इशारा भी किया।
केंद्रीय बैंक के इस फैसले से अमेरिका की ओर से लगाए गए पारस्परिक शुल्कों से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा मिलने की उम्मीद बढ़ी है। ब्याज दरों में कटौती के बाद प्रमुख नीतिगत दर यानी रेपो रेट घटकर 6 प्रतिशत हो गई। इस कदम से आवास, ऑटो और कॉर्पोरेट ऋण लेने वालों को राहत मिली।
फरवरी महीने में भी की गई थी इतनी ही कटौती
फरवरी में अपनी पिछली नीति में आरबीआई ने रेपो दर को 25 आधार अंकों से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था। यह दर मई 2020 में पिछली दर में कटौती के बाद आई थी। दरों में आखिरी संशोधन फरवरी 2023 में हुआ था। जब नीति दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था।
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज, जैसे होम लोन, कार लोग अब सस्ते हो जाएंगे। हालांकि बैंक ईएमआई में कब तक और कितनी कटौती करेंगे यह उन पर निर्भर करता है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति हर दो महीने के अंतराल पर होने वाली अपनी तीन दिवसीय बैठक में रेपो दर को घटाने, बढ़ाने या स्थिर रखने पर फैसला लेती है।
4% तक रह सकती है महंगाई दर
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति निर्णायक रूप से सकारात्मक दायरे में प्रवेश कर रही है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति 4% रहने का अनुमान लगाया गया है। फरवरी में महंगाई दर 4.2% रहने का अनुमान लगाया गया है।
वित्तीय वर्ष 26 के लिए मुद्रास्फीति का तिमाहीवार अनुमान
पहली तिमाही 3.6%
दूसरी तिमाही 3.9%
तीसरी तिमाही 3.8%
चौथी तिमाही 4.4%