ब्लिट्ज ब्यूरो
की व। रूस से जारी जंग के बीच अमेरिका और यूक्रेन ने खनिज संसाधन सौदे की घोषणा की है। अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने इस समझौते के बारे में एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी संयुक्त राज्य अमेरिका को यूक्रेन के साथ निवेश करने की अनुमति देती है। यह समझौता यूक्रेन के निवेश के माहौल को बेहतर बनाएगा और यूक्रेन की आर्थिक सुधार को गति देगा।
इस समझौते के बाद अमेरिका को यूक्रेन के कीमती खनिजों तक पहुंच मिल गई है। अब दोनों देश मिलकर यूक्रेन की जमीन में छिपे हुए कीमती खनिजों को निकालेंगे और उनका इस्तेमाल करेंगे। यूक्रेन की जमीन में लिथियम, टाइटेनियम, यूरेनियम जैसे खनिज पाए जाते हैं, जो बैटरी, हवाई जहाज और परमाणु ऊर्जा जैसी जरूरी चीजें बनाने में काम आते हैं।
समझौते के मसौदे के मुताबिक, दोनों देश मिलकर पैसे जुटाएंगे और उस पैसे से खनिजों को निकालने का काम शुरू करेंगे। इससे अमेरिका को जरूरी खनिज मिलेंगे और यूक्रेन को पैसे और आर्थिक मदद मिलेगी। यूक्रेन इस सौदे से अपनी कमजोर अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहता है, क्योंकि रूस के हमले के बाद उसे बहुत नुकसान हुआ है। वहीं, अमेरिका चाहता है कि वह चीन जैसे देशों पर कम निर्भर रहे और खुद खनिजों का इस्तेमाल कर सके।
क्या है यह खनिज समझौता
यूक्रेन के पास 20 से ज्यादा ऐसे खनिजों के भंडार हैं जिन्हें अमेरिका ने रणनीतिक रूप से अहम माना है। इनमें टाइटेनियम- हवाई जहाज के पंख बनाने में काम आता है, लिथियम- बैटरियों में प्रयोग होता है, यूरेनियम- परमाणु ऊर्जा के लिए जरूरी है। जब अमेरिका की ओर से नया मसौदा भेजा गया, तो कुछ यूक्रेनी सांसदों ने उसे लीक कर दिया। लीक हुए दस्तावेज के अनुसार, यह मसौदा सिर्फ दुर्लभ खनिजों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि इसमें गैस और तेल के स्रोत भी शामिल थे।
क्या कहता था पहले वाला समझौता?
अमेरिका और यूक्रेन मिलकर एक संयुक्त निवेश फंड बनाएंगे, यूक्रेन अपनी प्राकृतिक संपत्तियों (खनिज, तेल, गैस आदि) से होने वाली आमदनी का 50% इस फंड में डालेगा। यह पैसा यूक्रेन के युद्ध-प्रभावित इलाकों के पुनर्निर्माण में लगेगा और संपत्तियों का मालिकाना हक अमेरिका को नहीं दिया जाएगा।