ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद बांग्लादेश के हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को 156 दिनों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार राहत मिली है। बांग्लादेश हाई कोर्ट ने बुधवार को उन्हें जमानत दे दी। बता दें कि 25 नवंबर 2024 को उन्हें ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। चिन्मय कृष्ण दास पर आरोप था कि उन्होंने एक हिंदू रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। हालांकि, भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस गिरफ्तारी को ‘न्यायिक उत्पीड़न’ बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी थी।
चिन्मय दास इस्कॉन के पूर्व पुजारी रह चुके हैं और बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं। यही मुखरता उन्हें सत्ता के निशाने पर ले आई। उनकी गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश और भारत, दोनों जगह विरोध-प्रदर्शन हुए। बेल की याचिकाएं पहले कई बार खारिज हुईं ं, और इस बीच जेल में उनकी तबीयत बिगड़ने की भी खबरें सामने आईं। वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य और प्रलाद देबनाथ ने कोर्ट में बताया कि यह मामला राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है और दास को चिकित्सा सुविधा तक नहीं दी जा रही।
हाई कोर्ट से राहत, सुप्रीम कोर्ट में फंसा पेंच
हाई कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दास को जमानत दे दी हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का अपीलेट डिवीजन इस फैसले पर रोक लगा सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो चिन्मय दास जल्द ही जेल से रिहा हो सकते हैं।
भारत सरकार ने भी जताया विरोध
भारत सरकार ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया था और बांग्लादेश के अधिकारियों से जवाब मांगा था। भारत का मानना है कि शेख हसीना सरकार के पतन के बाद अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में इज़ाफा हुआ है और इस तरह की घटनाएं दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं।
बांग्लादेश में 8% हिंदुओं पर हमले
बांग्लादेश की 17 करोड़ आबादी में करीब 8% हिंदू समुदाय है और हाल के महीनों में देश के 50 से अधिक जिलों में उनके खिलाफ हमले दर्ज किए गए हैं। चिन्मय दास इन हमलों पर मुखर रहे और सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग करते रहे।