ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने हाल के सालों में बहुत तेजी से बड़ी तकनीकी उपलब्धियां हासिल की हैं। यही वजह है कि भारतीय नौसेना दुनिया की टॉप समुद्री सेनाओं में शामिल हो गई है। स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, परमाणु पनडुब्बियां, लंबी दूरी की मारक क्षमता, आधुनिक मिसाइल प्रणालियां और रोबोटिक सिस्टम जैसी टेक्नोलॉजी ने भारत की समुद्री सुरक्षा को आधुनिक बनाया है। इतना ही नहीं इन कोशिशों से आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी बड़े कदम उठाए गए हैं। आइये जानते हैं भारतीय नौसेना की 5 बड़ी टेक्नोलॉजिकल उपलब्धियां।
भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत
आईएनएस विक्रांत भारत का पहला पूरी तरह स्वदेशी विमानवाहक पोत है। इसे भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड में बनाया गया और साल 2022 से यह नौसेना का हिस्सा रहा है। इसकी लंबाई लगभग 262 मीटर है और यह 30 से ज्यादा लड़ाकू विमान ले जा सकता है।
आईएनएस विक्रांत की वजह से भारत की समुद्री ताकत काफी बढ़ गई है। इसकी मदद से नौसेना को समुद्र के किसी भी कोने में हवाई हमले करने की क्षमता मिलती है। यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की एक बड़ी उपलब्धि रहा है।
परमाणु ताकत से लैस अरिहंत पनडुब्बी
आईएनएस अरिहंत भारत की पहली स्वदेशी और परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बी है। इसकी मदद से भारत ‘न्यूक्लियर ट्रायड’ में शामिल हो पाया है। कहने का मतलब है कि आईएनएस अरिहंत जल, थल और वायु से परमाणु हमला करने की क्षमता भारतीय नौसेना को देती है। इस पनडुब्बी की खासियत है कि बिना सतह पर आए यह कई महीनों तक समुद्र में रह सकती है। इससे दुश्मन को इसकी लोकेशन का अंदाजा लंबे समय तक नहीं हो पाता। आईएनएस अरिहंत परमाणु मिसाइल भी दाग सकती है। बता दें कि इसे विशाखापत्तनम के विशेष डॉकयार्ड में तैयार किया गया है।
आधुनिक युद्धपोत, टैंकर और सपोर्ट जहाज
भारतीय नौसेना अब ‘ब्लू वॉटर नेवी’ बन चुकी है, यानी वह सिर्फ अपने समुद्री तट की सुरक्षा ही नहीं, बल्कि दुनिया के किसी भी समुद्र में जाकर अभियान चला सकती है। इसके लिए नौसेना ने आधुनिक युद्धपोत, टैंकर और सपोर्ट जहाज तैनात किए हैं। भारतीय नौसेना की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हमारे पास अब ऐसी टेक्नोलॉजी और जहाज हैं जो 7,000 किलोमीटर या उससे भी दूर जाकर ऑपरेशन कर सकते हैं। यह तकनीकी प्रगति भारत की समुद्री सुरक्षा, व्यापारिक मार्गों की रक्षा और आपदा राहत अभियानों में बेहद काम की साबित हुई है।
सतह से हवा में मार करने वाला सैम सिस्टम
भारतीय नौसेना के युद्धपोतों को सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों से लैस किया गया है। इसमें ब्रह्मोस, बाराक-8 जैसी मिसाइलें शामिल हैं जो दुश्मन के विमानों, ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर सकती हैं। यह सैम सिस्टम पूरी तरह रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से जुड़ा है। इसकी वजह से किसी भी खतरे का पता चलते ही तुरंत बाद जवाबी कार्रवाई की जा सकती है। इससे युद्धपोतों की रक्षा क्षमता बहुत मजबूत हो गई है।
स्वदेशी ड्रोन और रोबोटिक सिस्टम
भारतीय नौसेना अब समुद्र में निगरानी के लिए स्वदेशी ड्रोन और अंडरवॉटर रोबोट्स का इस्तेमाल कर रही है। ये सिस्टम इतने आधुनिक हैं कि दुश्मन की निगाह से बचकर खतरनाक जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं। इसके अलावा इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बम जैसी चीजों को डिफ्यूज करने के लिए भी किया जाता है। बड़ी बात ये है कि ये टेक्नोलॉजी भारत में विकसित की गई हैं। इससे रक्षा के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ी है।