ब्लिट्ज ब्यूरो
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पेंड्रा के रहने वाले राजशेखर पैरी जल्द अंतरिक्ष में जाने वाले हैं। एक निजी अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी टाइटंस स्पेस इंडस्ट्रीज ने अपने पहले मिशन के लिए भारतीय छात्र के तौर राजशेखर को चुना है।
अपने सिलेक्शन और उन्हें कैसे मौका मिला, इसके बारे में राजशेखर बताते हैं कि उन्होंने नासा को एक मेल की थ्ाी। केवल यह जानने के लिए कि एस्ट्रोनॉट बनने का प्रोसेस क्या होता है। उम्मीद तो थी नहीं, लेकिन 4 दिन बाद जो जवाब आया, उससे न सिर्फ उनके सवालों के जवाब मिले, बल्कि उनके सपनों को एक नई दिशा भी दी।
नासा ने उन्हें एस्ट्रोनॉट बनने की प्रक्रिया, योग्यता और रिस्क फैक्टर्स की पूरी जानकारी दी और साथ ही बधाई दी कि, आप नासा के एस्ट्रोनॉट बनने की इच्छा रखते हैं। राजशेखर कहते हैं, उस मेल ने मेरा आत्मविश्वास और बढ़ा दिया। तभी से तय कर लिया था-अब तो स्पेस में जाना ही है।
राजशेखर इस समय यूके में स्पेस पर जाने के लिए ट्रेनिंग ले रहे हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई ऑक्सफोर्ड स्कूल से की है। वर्तमान में एयरोस्पेस और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं और ऑर्बिटालॉकर में प्रोजेक्ट मैनेजर-इंजीनियरिंग के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने पहले कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनेमिक्स में इंटर्नशिप भी की है।
चयन से पहले उन्हें नकली चंद्र मिशन में भागीदारी, एनालॉग आवासों में रहना, इस तरह की ट्रेनिंग का सामना करना पड़ा जिसके बाद उनका सिलेक्शन हुआ।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारा पहला मिशन एक सब-ऑर्बिटल फ्लाइट है। यह मिशन कुल 5 घंटे का होगा। इस दौरान हमने जो रिसर्च तय की है, उसे अंतरिक्ष में परीक्षण के रूप में देखा जाएगा कि वहां उसका क्या परिणाम आता है। तो पहला मिशन मुख्य रूप से रिसर्च ऑब्जर्वेशन पर केंद्रित रहेगा। फिलहाल यूके में अभी ट्रेनिंग चल रही है जो 4 साल तक चलेगी। स्पेस जाने की डेट 2029 की शुरुआत में फाइनल हो सकती है।
राजशेखर के पिता रेलवे की जॉब में थे। राजशेखर ने बताया कि मैंने प्राइमरी की पढ़ाई बिलासपुर और फिर आगे की पेण्ड्रा में की। मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपना बैचलर कोर्स हैदराबाद से किया। उसके बाद हायर एजुकेशन के लिए यूके गया। वहां एयरोस्पेस प्रपल्शन में स्पेशलाइजेशन हासिल की।
इस दौरान मैंने स्पेस फ्लाइट्स के बारे में गंभीरता से जानकारी जुटाना शुरू किया। मैंने देखा कि यूरोप में तरह-तरह के स्पेस प्रोग्राम चल रहे हैं, जिनमें भाग लेकर चयन किया जा सकता है। इसके तहत मैंने पोलैंड से एनालॉग स्पेस ट्रेनिंग पूरी की। इस ट्रेनिंग में यह सिखाया जाता है कि स्पेस में कैसे रहना है, कैसे काम करना है। यह अनुभव मेरे लिए एक बड़ा एक्सपोजर था।































