ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना अपनी स्वदेशी रक्षा निर्माण क्षमता में एक बड़ा कदम उठाते हुए विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में अपने पहले स्वदेश निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल (डीएसवी), आईएनएस निस्तार को कमीशन किया। इस समारोह की अध्यक्षता रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने की। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और अन्य सीनियर अधिकारी भी इस ऐतिहासिक अवसर पर मौजूद रहे। हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित आईएनएस निस्तार में 80 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री लगी है और इसे 120 एमएसएमई ने मिलकर बनाया है। निस्तार गहरे समुद्र में गोताखोरी और पनडुब्बी बचाव करने में सक्षम है 10,500 टन से अधिक वजन वाला यह जहाज कई डेक वाले सैचुरेशन डाइविंग कॉम्प्लेक्स, आरओवी, और डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल्स के लिए मदरशिप के रूप में कार्य करता है।’ बता दें कि निस्तार नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है मुक्ति, बचाव या उद्धार।
यह जहाज पूरी तरह से भारत में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है, जो भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आईएनएस निस्तार में लगभग 120 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की भागीदारी रही है। यह भारत की जटिल और उन्नत नौसैनिक प्लेटफार्मों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की क्षमता का प्रतीक है। लगभग 120 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा और 10,500 टन से अधिक वजन वाला यह जहाज गहरे समुद्र में डाइविंग और पनडुब्बी बचाव जैसे महत्वपूर्ण मिशनों के लिए बनाया गया है।
अल्ट्रा मॉडर्न टेक्नोलॉजी
आईएनएस निस्तार में कई डेक पर फैला एक अत्याधुनिक डाइविंग कॉम्प्लेक्स है, जो सैचुरेशन डाइविंग मिशनों को समर्थन देता है। इसमें रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (आरओवी) और डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) के लिए मदरशिप की भूमिका भी शामिल है, जिससे इसकी क्षमताएं और भी बढ़ जाती हैं। पनडुब्बी संकट की स्थिति में आईएनएस निस्तार पानी के नीचे स्थिति का आकलन करने के लिए रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (आरओवी) और चालक दल को निकालने के लिए डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) तैनात कर सकता है, जो भारतीय नौसेना के पनडुब्बी कर्मियों के लिए सुरक्षा और समर्थन का एक महत्वपूर्ण स्तर प्रदान करता है।
इंडियन नेवी की बढ़ेगी ताकत
आईएनएस निस्तार के इंडियन नेवी में शामिल होने से नौसेना की ताकत में इजाफा होगा। इस जहाज का शामिल होना भारतीय नौसेना की पानी के नीचे की ऑपरेशनल कैपेबिलिटी को बढ़ाने की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है और भारत के बढ़ते रक्षा औद्योगिक आधार को उजागर करता है।































