ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गैर-संचारी (गैर संक्रामक) रोगों के कारण होने वाली मौतों का अनुपात 1990 में 37.9% से बढ़कर 2016 में 61.8% हो गया। वहीं, देश में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी हालिया रिपोर्टों पर गौर करें तो 66 प्रतिशत से ज्यादा मौतें गैर-संचारी रोगों के कारण होती हैं, जिनमें मुख्य रूप से हृदय संबंधित रोग, डायबिटीज, कैंसर, सांस संबंधित बीमारियां शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर कुल मौतों का 70 से 74 प्रतिशत तक हिस्सा गैर संचारी रोगों के कारण है। इसके पीछे खाने-पीने की खराब आदतें, बिल्कुल भी एक्सरसाइज न करना, वायु प्रदूषण, स्मोकिंग, मोटापा समेत कई कारण हैं।
गैर संक्रामक रोग बड़ी आपदा
दिल्ली मेडिकल काउंसिल के चेयरमैन डॉ. अरुण गुप्ता ने कहा, आईसीएमआर की रिपोर्ट तर्कसंगत है। 1990 के बाद देखा जाए तो संचारी रोग यानी इंफेक्शन से होने वाली मौतें कम हो गई।
एंटीबायोटिक का ज्यादा प्रयोग होने से इंफेक्शन को कंट्रोल किया जाने लगा। स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान हुई है। संचारी रोगों को संक्रामक रोग भी कहा जाता है। ये वे बीमारियां हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या एक पशु से दूसरे पशु में फैल सकती हैं। संचारी रोग बैक्टीरिया, वायरस के कारण होते हैं, जिसमें काली खांसी, टीबी समेत दूसरी बीमारियां हैं। वैक्सीनेशन की कवरेज बढ़ने से संक्रामक रोगों पर कंट्रोल हुआ है लेकिन गैर संचारी रोगों का परसेंटेज बढ़ गया। इन रोगों के कारण होने वाली मौतें भी बढ़ गईं। एक फैक्टर यह भी है कि जैसे-जैसे लोगों की इनकम बढ़ी है, वैसे-वैसे मोटापा, बीपी, डायबिटीज के मामले भी बढ़ गए हैं। आने वाली महामारी बीपी, शुगर, मोटापा जैसे गैर संचारी रोगों की ही है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन के कारण किडनी, ब्रेन, हार्ट समेत हर ऑर्गन प्रभावित होता है। आने वाले दशक में हमें मानसिक रूप से तैयार रहना है।’’
गलत खानपान, स्ट्रेस है वजह इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के कंसल्टेंट हार्ट स्पेशलिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. वरुण बंसल के अनुसार ये कहना सही है कि गैर संचारी रोगों का प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कैसर ये सब गैर संचारी रोगों में आते हैं। संचारी रोग इंफेक्शन के कारण होते हैं। पहले से इंफेक्शन की मात्रा कम हुई है पर गैर संचारी रोगों में बढ़ोतरी हुई है। उसकी एक बड़ी वजह खान-पान में तेजी से बदलाव है। स्ट्रेस फैक्टर बढ़ गया है।
खाने-पीने के सामान में फर्टिलाइजर, केमिकल, प्रदूषण की वजह से कैंसर के मामले बढ़ गए हैं। सरकार के साथ-साथ मरीजों को भी सोचना होगा कि रोगों के बढ़ने की वजह से उनका आर्थिक नुकसान होता है। बीमारियों की वजह से अस्पताल में भर्ती होते हैं। दवाओं पर खर्चा होता है।
कुछ खास बातें
– नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग हर 10 में से 1 से 3 लोगों को हो सकता है।
-शुगर, हृदय रोग और कैसर जैसी कई गैर- संचारी बीमारियां का कनेक्शन लिवर से है।
-गैर-संचारी रोगों में पार्किंसन, स्ट्रोक, हृदय रोग, कैसर, डायबिटीज, किडनी की पुरानी बीमारी, अल्जाइमर, मोतियाबिंद जैसी बीमारी शामिल होती हैं। गैर-संचारी रोगों की वजह से दुनिया भर में हर साल 41 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है। यह वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौतों का 71 प्रतिशत है।