ब्लिट्ज ब्यूरो
जयपुर। डीओआईटी के तत्कालीन अधिकारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला सामने आया है। इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में एसीबी की ओर से पेश एफआर को विशेष न्यायालय की ओर से मंजूर करने के मामले में एसीबी डीजी रवि मेहरडा राजस्थान हाईकोर्ट में पेश हुए।
वहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आप यह क्यों नहीं देखते कि डीओआईटी सबसे अधिक भ्रष्टाचार वाला विभाग है। वहां तो इतना भ्रष्टाचार है कि लोगों के पास घरों में सोना रखने की जगह नहीं बची है, इसलिए वे ऑफिस में सोना रखते हैं।
चार सप्ताह में पेश करें रिपोर्ट
इसके अलावा कोर्ट ने मौखिक रूप से एसीबी को कहा कि वह विभाग के बीते पांच साल के सभी टेंडर्स की जांच करें और चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करें। बता दें कि जस्टिस अशोक कुमार जैन ने यह आदेश एफआर स्वीकार करने के एसीबी कोर्ट के आदेश के खिलाफ पेश टीएन शर्मा की रिवीजन पर सुनवाई करते हुए दिया। वहीं अदालती आदेश की पालना में एसीबी डीजी रवि मेहरडा अदालत में हाजिर हुए। कोर्ट ने उनसे पूछा कि आपके विभाग ने मामले में एफआर कैसे लगा दी, लेकिन डीजी ने कोई जवाब नहीं दिया। इस पर अदालत ने उनसे कहा कि सही दिशा में तो यह होता कि आप टेंडर्स की जांच करते कि किसे कितना पैसा मिला व किसे टेंडर मिला? वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एसीबी ने गलत तौर पर एफआर लगाई है, डीओआईटी में बहुत भ्रष्टाचार है।
आय से अधिक संपत्ति का मामला
इस पर कोर्ट ने एसीबी डीजी को मौखिक रूप से कहा कि वे विभाग के पिछले पांच साल के सभी टेंडर्स की जांच करें और इसकी रिपोर्ट कोर्ट में चार सप्ताह में पेश करें। एसीबी डीजी ने कोर्ट से कहा कि टेंडर्स की संख्या अधिक होने के कारण जांच पूरी करने के लिए अधिक समय दिया जाए, लेकिन अदालत ने इससे मना करते हुए कहा कि जांच शुरू होने के बाद यदि समय कम रहा तो उसे बाद में देखेंगे। बता दें कि याचिका में वर्ष 2019 में डीओआईटी विभाग के तत्कालीन उपनिदेशक कुलदीप यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी की ओर से एफआर लगाने को चुनौती दी गई है।