ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश में जनगणना कराने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि जातीय जनगणना पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। यह पहली डिजिटल जनगणना होगी जिसके जरिये नागरिकों को स्वयं गणना करने का अवसर मिलेगा।
इसके लिए जनगणना प्राधिकरण ने एक स्वगणना पोर्टल तैयार किया है जिसे अभी लांच नहीं किया गया है। स्वगणना के दौरान आधार नंबर या मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से एकत्र किया जाएगा। पूरी जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की प्रक्रिया पर 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है। एक सूत्र ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि हर दशक में होने वाली जनगणना जल्द ही कराई जाएगी लेकिन दशकीय जनगणना में जाति संबंधी कालम शामिल करने के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा, ‘इस पर निर्णय होना अभी बाकी है।’ राजनीतिक दल जाति जनगणना कराने की पुरजोर तरीके से मांग कर रहे हैं। नए आंकड़े नहीं होने के कारण सरकारी एजेंसियां अब भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर नीतियां बना रही हैं और सब्सिडी आवंटित कर रही हैं। भारत में 1881 से हर 10 वर्ष में जनगणना की जाती है। इस दशक की जनगणना का पहला चरण एक अप्रैल, 2020 को शुरू होने की उम्मीद थी पर कोविड- 19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा।
जनगणना के लिए 31 सवाल
भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त ने जनगणना के दौरान पूछने के लिए 31 सवाल तैयार किए हैं। इनमें पूछा जाएगा कि एक परिवार में कितने लोग रहते हैं और परिवार की मुखिया महिला है क्या। इसके अतिरिक्त परिवार का मुखिया अगर एससी/एसटी है तो यह जानकारी भी मांगी जाएगी। पूछेंगे कि एक परिवार के पास एक टेलीफोन, इंटरनेट कनेक्शन, मोबाइल है या नहीं। उनके पास वाहनों में साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल या फिर कार, जीप या वैन है या नहीं। पूछेंगे आप कौन सा अनाज अधिक खाते हैं। उनके पेयजल, बिजली, शौचालय, गंदे पानी की निकासी, रसोई और रसोई में एलपीजी/पीएनजी आदि की उपलब्धता की भी जानकारी ली जाएगी।
महिला आरक्षण भी जनगणना पर निर्भर
पिछले वर्ष संसद द्वारा पारित महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन भी इसी दशकीय जनगणना से जुड़ा हुआ है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने संबंधी कानून इस अधिनियम के लागू होने के बाद होने वाली पहली जनगणना के प्रासंगिक आकड़ों के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद लागू होगा।
जनगणना के तहत घरों को सूचीबद्ध करने का चरण और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने का कार्य एक अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 तक पूरे देश में किया जाना था, लेकिन कोविड- 19 के प्रकोप के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।
– दलों की मांग के बाद भी जातीय जनगणना पर फिलहाल फैसला नहीं
ऐसे की जाएगी गणना
– जनगणना पोर्टल खुल जाने के बाद, व्यक्ति अपने मोबाइल नंबर का उपयोग करके लागइन कर सकता है और अपना विवरण भर सकता है।
– जनगणना पोर्टल में व्यक्तियों को जनसंख्या गणना के लिए फार्म भरना होगा।
– विभिन्न विकल्पों को भरने के लिए स्क्रीन पर कोड डिसप्ले होंगे।
– एक बार स्व-गणना हो जाने के बाद, मोबाइल पर एक पहचान संख्या भेजी जाएगी।
– जब जनगणनाकर्मी घर-घर जाएंगे तो उनके साथ वह आईडी नंबर साझा किया जा सकता है, जो पहले से भरे हुए सभी डेटा को अपने आप आनलाइन सिंक कर देगा।
एक फरवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश में डिजिटल जनगणना किए जाने की घोषणा की थी। साथ ही बजट में इसके लिए 3,726 करोड़ रुपये भी आवंटित किए थे। जुलाई 2021 में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को बताया था कि कोरोना महामारी की वजह से 2021 की जनगणना और उससे जुड़ी अन्य गतिविधियों को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है।