ब्लिट्ज ब्यूरो
बीजिंग। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी समेत चार स्थानों पर उसके सैनिकों की वापसी हुई है। चीनी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा है कि भारत और चीन रूस में अपनी बैठक के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए स्थितियां बनाने को मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में सुरक्षा मामलों के लिए जिम्मेदार ब्रिक्स के उच्च पदस्थ अधिकारियों की बैठक के मौके पर बातचीत की। इस दौरान उन्होंने सीमा मुद्दों पर हाल में हुई प्रगति पर चर्चा की।
चीन ने क्या कहा?
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग से मीडिया ब्रीफ्रिंग के दौरान पूछा गया कि पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय से जमे द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए क्या दोनों देश किसी सफलता के करीब हैं? इस पर चीनी प्रवक्ता ने कहा, सेनाओं ने चार क्षेत्रों में वापसी की है और सीमा पर स्थिति स्थिर है। माओ ने कहा, ‘हाल के वर्षों में अग्रिम पंक्ति की सेनाओं ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र (पूर्वी लद्दाख) में चार क्षेत्रों में वापसी का एहसास किया है, जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है। चीन-भारत सीमा की स्थिति आम तौर पर स्थिर और नियंत्रण में है।’
जयशंकर ने दिया था सैनिकों की वापसी पर बयान
चीनी विदेश विभाग के प्रवक्ता का बयान तब आया है जब एक दिन पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जिनेवा में कहा था कि चीन के साथ ‘सैनिकों की वापसी से जुड़ी समस्याओं’ का लगभग 75 प्रतिशत समाधान हो गया है, लेकिन बड़ा मुद्दा सीमा पर बढ़ता सैन्यीकरण है। डोभाल और वांग भारत-चीन सीमा वार्ता तंत्र के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। डोभाल और वांग के बीच हुई बैठक के बारे में चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि कि दोनों पक्षों ने यह विश्वास व्यक्त किया कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता दोनों देशों के लोगों के बुनियादी और दीर्घकालिक हित में है तथा क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए अनुकूल है।