ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। साइबर क्रिमिनल्स पर नकेल कसने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक ऑनलाइन ‘संदिग्ध रजिस्ट्री’ लॉन्च की है। इस रजिस्ट्री में 14 लाख साइबर अपराधियों का डेटा है जो साइबर और ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल हैं। अधिकारियों के अनुसार, यह रजिस्ट्री राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय जांच और खुफिया एजेंसियों की ओर से एक्सेस की जा सकती है। अधिकारियों ने कहा कि इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4सी) ने बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों के सहयोग से यह रजिस्ट्री बनाई है। इसका मुख्य मकसद ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी पर अंकुश लगाना है।
रोजाना औसतन 67,000 कॉल
इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के सीईओ राजेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) को साइबर धोखाधड़ी के संबंध में रोजाना औसतन 67,000 कॉल आती हैं। उन्होंने कहा कि 2021 से, I4सी ने लगभग 850,000 पीड़ितों से संबंधित 2,800 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की राशि बरामद की है। केंद्र के अनुसार, पोर्टल पर 171.3 मिलियन साइबर पीड़ितों की ओर से लगभग 4.78 मिलियन साइबर शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें बाल यौन शोषण सामग्री (सीएमएसएम) से संबंधित मामले भी शामिल हैं, जिनमें से सीएमएसएम से संबंधित 17,000 पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई हैं। I4सी ने अतीत में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 10,767 फोरेंसिक सेवाएं भी प्रदान की हैं।
क्या है ‘इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर’ का काम?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साइबर क्राइम से निपटने के लिए I4सी नाम का एक खास संगठन बनाया है। इसका मकसद है कि पुलिस और जांच एजेंसियां मिलकर साइबर क्राइम के खिलाफ काम करें। साल 2019 से 2024 के बीच साइबर क्राइम के मामलों में भारी बढ़ोतरी देखी गई है।
47.8 लाख शिकायतें
31 अगस्त, 2024 तक कुल 47.8 लाख शिकायतें दर्ज हुई हैं, जबकि 2023 में 15.6 लाख, 2022 में 9,66,790, 2021 में 4,52,414, 2020 में 2,57,777 और 2019 में केवल 26,049 शिकायतें दर्ज हुई थीं। सबसे ज़्यादा शिकायतें, लगभग 85 प्रतिशत, ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़ी हुई हैं। एक अधिकारी ने बताया कि ‘बहुत से लोगों को ऑनलाइन निवेश, गेमिंग एप, एल्गोरिद्म में हेरफेर, अवैध लोन एप, अश्लील वीडियो कॉल के जरिए ब्लैकमेल और ओटीपी फॉरवर्ड करके ठगा गया है।’