ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड के साथ मिलकर भारत में ‘फाल्कन 2000’ एलएक्सएस एग्जीक्यूटिव जेट बनाने की योजना तैयार की। ये जेट वैश्विक बाजार के लिए होंगे और उम्मीद है कि पहला जेट 2028 तक बनकर तैयार हो जाएगा। इस साझेदारी से भारत, अमेरिका, फ्रांस, कनाडा और ब्राजील के बाद अगली पीढ़ी के बिजनेस जेट बनाने वाले देशों के खास क्लब में शामिल हो जाएगा। इसके लिए नागपुर में डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (डीआरएएल) के प्लांट को 400,000 वर्ग फीट तक बढ़ाया जाएगा। इस काम के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है।
डसॉल्ट एविएशन का कहना है कि 2028 तक ये जेट बनकर तैयार हो जाएंगे। कंपनी के अनुसार, भारत अब एक महत्वपूर्ण वैश्विक विमानन केंद्र के रूप में उभरेगा। डसॉल्ट एविएशन ने पेरिस एयर शो में एक बयान जारी करते हुए कहा, ‘यह पहली बार है कि डसॉल्ट एविएशन फ्रांस के बाहर ‘फाल्कन 2000’ जेट का निर्माण करेगी, जिससे भारत एक रणनीतिक वैश्विक विमानन केंद्र के रूप में स्थापित होगा। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि यह संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, कनाडा और ब्राजील के बाद अगली पीढ़ी के बिजनेस जेट बनाने वाले देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो जाएगा।’यह करार ऐसे समय में हुआ है, जब अपने 787 ड्रीमलाइनर की वजह से अमेरिका की विमान बनाने वाली कंपनी बोइंग इसकी सुरक्षा को लेकर सवालों के घेरे में है। अहमदाबाद विमान दुर्घटना के बाद इसके विमानों की सुरक्षा को लेकर सघन जांच की जा रही है।
मिहान में हर साल 22 एग्जीक्यूटिव जेट बनाने की क्षमता होगी
नागपुर के मिहान में स्थित डीआरएएल प्लांट में फिलहाल फाल्कन लाइन के लिए फ्यूजलेज के हिस्से और कंपोनेंट बन रहे हैं। अब इसे बढ़ाकर 4,00,000 वर्ग फीट का कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा। यहां हर साल 22 एग्जीक्यूटिव जेट बनाने की क्षमता होगी। हालांकि, विमानों की वास्तविक संख्या वैश्विक ऑर्डर और भारत की जरूरतों पर निर्भर करेगी। डीआरएएल की पिछली योजनाओं के अनुसार, फाल्कन 2000 बिजनेस जेट का पहला मॉडल 2022 तक बनकर तैयार हो जाना था लेकिन, कोविड-19 महामारी के कारण योजनाएं पटरी से उतर गईं। महामारी का असर नागरिक जेट की वैश्विक मांग पर भी पड़ा।
‘मेक इन इंडिया’ अभियान के लिए बड़ी पहल
एक बार पूरा हो जाने पर यह भारत में नागरिक जेट बनाने वाली पहली प्रोडक्शन लाइन होगी और इससे ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को नई धार मिलेगी। फिलहाल, टाटा, एयरबस के साथ मिलकर सी-295 सैन्य परिवहन विमान बनाता है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों सहित कई तरह के विमान बनाता है।
राफेल फाइटर जेट के लिए भी काम कर रहा है
भारत में एग्जीक्यूटिव जेट के निर्माण के साथ ही डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (डीआरएएल) फाल्कन श्रृंखला के लिए उत्कृष्टता केंद्र बन जाएगा। इसमें फाल्कन 6X और फाल्कन 8X कार्यक्रम भी शामिल हैं, जिनका उपयोग ज्यादातर नागरिक कार्यों के लिए होता है, लेकिन इन्हें सैन्य उपयोग के लिए भी बदला जा सकता है। डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि यह समझौता डीआरएएल के विस्तार को दर्शाता है, जिसकी स्थापना 2017 में हुई थी और यह राफेल लड़ाकू जेट सौदे के लिए ऑफसेट दायित्वों को पूरा कर रहा है।
कीमत 35 मिलियन डॉलर से अधिक
एक रिपोर्ट के अनुसार डीआरएएल के आंतरिक अनुमानों में दावा किया गया है कि ‘मेक इन इंडिया’ परियोजना से नागपुर में कम श्रम और उत्पादन लागत के कारण फ्रांस की तुलना में 5 मिलियन डॉलर का लागत लाभ हो सकता है। एक फाल्कन 2000LX की कीमत 35 मिलियन डॉलर से ज्यादा है।