ब्लिट्ज ब्यूरो
वाशिंगटन। टक टक टाइपिंग की आवाज गुम हो जाएगी या ऐसा कहें कि कुछ दिनों में कीबोर्ड का जमाना लदने वाला है। डिजिटल युग और स्क्रीन के साथ बड़े हो रहे युवा नई तकनीक में माहिर तो हैं लेकिन कीबोर्ड टाइपिंग में पिछड़ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, जेन जेड यानी ऑनलाइन पीढ़ी में कीबोर्ड पर टाइप करने की क्षमता खत्म हो रही है। इसके पीछे टच स्क्रीन व ऑडियो से टेक्स्ट में बदलने वाली तकनीक को कारण माना जा रहा है।
व्यस्त दिनचर्या के कारण ही हर रोज नई तकनीक आ रही हैं। इसमें से ही एक है ऑडियो से टेक्स्ट तैयार करना। व्हॉट्सएप समेत कई एप ऐसे हैं जिनमें आवाज रिकॉर्ड कर उसे टेक्स्ट में बदलने की सुविधा है और आज की नई पीढ़ी इसका भरपूर इस्तेमाल कर रही है। अधिकतर गैजेट में ऑन-स्क्रीन टाइपिंग या टचस्क्रीन टाइपिंग है और इसलिए कीबोर्ड पर टाइपिंग का चलन जल्द ही खत्म हो सकता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार कीबोर्ड पर टाइपिंग सिखाने वाली क्लासेज बीते 25 सालों में तेजी से कम हुई हैं। लोग कीबोर्ड पर टाइपिंग सीखने नहीं आते। दरअसल, इसके पीछे स्मार्टफोन, टैबलेट हैं जो लैपटॉप और डेस्कटॉप कंप्यूटरों की जगह ले रहे हैं।
स्क्रीन पर टाइपिंग में माहिर
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और ऑल्टो यूनिवर्सिटी ने 37,000 टाइप करने वालों पर शोध किया। इनमें स्मार्टफोन पर औसत टाइपिंग और कंप्यूटर के कीबोर्ड पर औसत टाइपिंग के बीच अंतर का पता चला, जो खतरे की घंटी है। रिपोर्ट के अनुसार, नई पीढ़ी हर दिन औसतन छह घंटे अपने स्मार्टफोन से चिपकी रहती है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में टाइपिंग सिस्टम के विशेषज्ञ और फोन टाइपिंग अध्ययन के सह लेखक डॉक्टर परोला क्रिस्टेंशन ने कहा कि मुख्य वजह अभ्यास के लिए समय देने की है।