ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। महंगे होते जा रहे स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम से 18 फीसदी जीएसटी हटाने की मांग की जा रही है लेकिन जीएसटी के साथ ही कंपनियों द्वारा बेसिक प्रीमियम को लगातार बढ़ाए जाने से पॉलिसी महंगी होती जा रही है। सबसे ज्यादा स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में बढ़ोतरी हो रही है। बीते चार वर्षों में स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का प्रीमियम बढ़कर दोगुना हो गया है। अगर कोई पॉलिसी उस वक्त 18 हजार रुपये की थी तो आज वो बढ़कर 36 हजार रुपये की हो गई है। हर साल 20-30 फीसदी तक प्रीमियम को बढ़ाया जा रहा है।
तमाम तर्क दिए जा रहे
इसके पीछे तमाम तर्क भी कंपनियों की तरफ से दिए जाते हैं। अगर पॉलिसी से तीन सदस्य जुड़े हैं और इनमें से एक का भी उम्र का स्लैब बदल जाता है तो उम्र के साथ होने वाली बीमारियों का अंदेशा मानकर प्रीमियम बढ़ जाता है। कंपनियां 30, 35,40, 45 वर्ष के हिसाब से स्लैब बनाकर रखती है और उसी के हिसाब से प्रीमियम को बढ़ाती है।
बढ़ते प्रीमियम के बीच चिंताएं
2047 तक देश के हर व्यक्ति को स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा कवर के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगर इसी तरह से बैंकिंग और बीमा कंपनियां प्रीमियम को बढ़ाती चली गई तो लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा।
बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ अश्विनी राणा का कहना है कि दो स्तर पर काम करने की जरूरत है। पहला, सरकार कंपनियों के खर्च का ऑडिट करने के लिए कमेटी बनाए क्योंकि कंपनियां खर्च बढ़ने का हवाला देकर भी प्रीमियम बढ़ा रही हैं। दूसरा, अस्पतालों में इलाज से जुड़े शुल्क भले ही 10 फीसदी बढ़ रहे हों, लेकिन स्वास्थ्य बीमा कवर रखने वाले मरीज के भर्ती होते हुए उनकी तमाम सारी गैरजरूरी जांच कराई जाती है। लंबे समय तक भर्ती रखा जाता है, जिससे क्लेम भी मोटा बनता है।
45 करोड़ लोगों के पास ही कोई बीमा कवर
ध्यान रहे कि मौजूदा वक्त में करीब 45 करोड़ लोगों के पास ही कोई बीमा है लेकिन सरकार चाहती है कि अधिक संख्या में लोग बीमा कवर के अंदर आएं।
तीन लाख के स्वास्थ्य बीमा कवर पर ऐसे बढ़ा प्रीमियम
2017 – 12000
2021 – 18000
2022 – 24000
2023 – 30000
2024 – 38000
(नोट राशि रुपयों में)
देश में ऐसे बढ़ा स्वास्थ्य बीमा का
आकार आंकड़े (करोड़ रु. में)
2018-19 – 44873
2019-20 – 50758
2020-21 – 58238
2021-22 – 73058
2022-23 – 89492
2023-24 – 95000 (अनुमानित)