सिंधु झा
भैतिक संसाधन, संवेदनशील कार्य में लगी मानव शक्ति और संगठन के पास मौजूद विशेष जानकारी को सहेज कर रखना राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रमुख लक्ष्य माना गया है। दुश्मन के गुप्त हमलों यानी तोड़फोड़, विध्वंस और जासूसी से बचाना राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य में शामिल किया गया है। सुरक्षा का उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब ऐसे अदृश्य हमलों के पीछे की योजनाओं के बारे में लगातार जानकारी मिलती रहे।
जानकार बताते हैं कि शीत युद्ध के बाद खुले युद्ध की जगह सीमा पार से आतंकवादी हमलों के माध्यम से छद्म युद्ध को बढ़ावा मिलने, विद्रोहों के लिए गुप्त प्रचार के लिए सोशल मीडिया के प्रयोग तथा साइबर हमलों की शुरुआत के कारण, मानव खुफिया तथा तकनीकी खुफिया दोनों ही क्षेत्रों में खुफिया एजेंसियों के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।
प्रॉक्सी युद्ध के नए आयाम
प्रॉक्सी युद्ध ने नए आयाम हासिल कर लिए हैं, जैसे कि किसी सरकार के पक्ष या विपक्ष में राय को प्रभावित करने के लिए नागरिक समाज मंचों और लॉबी का उपयोग, विशेष आख्यान का निर्माण, प्रतिद्वंद्वी की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधाएं उत्पन्न करना तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण रक्षा और नागरिक प्रणालियों को निष्क्रिय करने के लिए साइबरस्पेस की तकनीकी पैंतरेबाजी।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), जो सूचना प्रौद्योगिकी की एक परम उन्नति का प्रतिनिधित्व करती है, ने सुरक्षा खतरों को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है तथा शासन, नीति-निर्माण और क्षमता निर्माण में बुद्धिमत्ता की भूमिका को पुनः परिभाषित किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा अब केवल सुरक्षा एजेंसियों का कार्य नहीं रह गया है, क्योंकि असुरक्षित विश्व में राज्य को भी अपने लोगों के जीवन की सुरक्षा करनी होती है तथा उस कर्तव्य के निर्वहन में उनकी सहायता लेनी होती है।
खुफिया विभाग के सामने अतिरिक्त चुनौती
आज खुफिया विभाग को एक अतिरिक्त चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बाहरी खतरे वर्तमान में आंतरिक सुरक्षा के लिए प्रमुख खतरा बन गए हैं। देश के खिलाफ खासकर चीन-पाक धुरी की गुप्त कार्रवाइयां, चुनौती बनी हुई हैं। रक्षा सूत्रों के अनुसार सेना खुफिया जानकारी आधारित अभियान चलाती है , जिससे एजेंसियों का काम और अधिक कठिन हो गया है। पिछले कुछ वर्षों में सेना ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने प्रदर्शन में सुधार किया है तथा वहां तैनात अर्धसैनिक बलों के साथ मिलकर ऑपरेशनल कार्य करने में सक्षम हुई है।
पुलिस बलों के बीच प्रभावी ग्रिड
केंद्र ने केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों के बीच एक प्रभावी ग्रिड भी सफलतापूर्वक स्थापित किया है। आतंकवाद- रोधी अभियानों में पुलिस की भूमिका काफी बढ़ गई है।