ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत ने हथियारों की खरीद में कमी की है और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ाने में सफल रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत का वैश्विक हथियार आयात 9.8 प्रतिशत से घटकर 8.3 प्रतिशत हो गया है। भारत अब 90 देशों को हथियार निर्यात भी कर रहा है।
कुछ साल पहले तक भारत का जब भी जिक्र आता था, तो एक ऐसे देश के रूप में उसे पहचाना जाता था जो हथियारों के खरीद में नंबर वन था लेकिन स्वदेशी के कमाल से अब ये पहचान बदलती नजर आ रही है। भारत तेजी से खुद हथियार बनाने लगा है। इसका नतीजा यह हुआ कि अब उसने दुनिया से हथियार खरीदने भी कम कर दिए हैं। एसआईपीआरआई की रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट बताती है कि हथियारों की खरीद के मामले में यूक्रेन पहली बार नंबर वन पर जाकर खड़ा हो गया है। यह माना भी जा सकता है क्योंकि यूक्रेन जंग लड़ रहा है और उसे कई देशों से हथियार मिल रहे हैं लेकिन सबसे खास बात यह है कि भारत, जिसने पाकिस्तान और चीन जैसे दो परमाणु संपन्न विरोधियों का सामना किया है, कई वर्षों तक दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश रहा है किंतु अब वैश्विक हथियार आयात में भारत का हिस्सा 9.8 प्रतिशत से घटकर 8.3 प्रतिशत हो गया है। यह एक बड़ी गिरावट है।
हथियार एक्सपोर्ट में तेज कदम
एक अन्य खास बात यह भी है कि अब भारत सिर्फ अमेरिका नहीं बल्िक अपने खास दोस्त रूस से भी हथियारों की खरीद कम कर चुका है। 2010-2014 के बीच भारत जहां रूस से 72 फीसदी हथियार एक्सपोर्ट करता था; अब यह आंकड़ा सिर्फ 36 फीसदी रह गया है। भारत खुद हथियार बना रहा है। इतना ही नहीं, वह 90 से अधिक देशों को हथियारों का एक्सपोर्ट भी कर रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 21,083 करोड़ रुपये के हथियार एक्सपोर्ट किए थे जो इससे पहले के वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत अधिक था।
भारत इन हथियारों का करता है एक्सपोर्ट
मिसाइल: भारत ने पहली बार ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल फिलीपींस को बेची है और अब इंडोनेशिया भी इसे खरीदने की योजना बना रहा है। भारत ने 37.5 करोड़ डॉलर के सौदे में फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल, बैटरियां, लॉन्चर और संबंधित उपकरण दिए हैं।
– गोला-बारूद और छोटे हथियार: स्नाइपर राइफल्स और विशेष दृष्टि प्रणाली।
– सुरक्षा उपकरण: बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट।
– इलेक्ट्रॉनिक सामान: विभिन्न सैन्य उपयोग के उपकरण।
– बख्तरबंद वाहन: सैन्य अभियानों के लिए उपयुक्त।
– हल्के टॉरपीडो: नौसेना उपयोग के लिए।
– ड्रोन और तेज हमला करने वाले जहाज: विभिन्न सैन्य उद्देश्यों के लिए।
अब 90 देशों को कर रहा हथियारों का निर्यात
-स्वदेशी के कमाल से बदली पहचान, रूस से भी हथियारों की खरीद हुई कम